रांची : अग्रसेन पथ स्थित श्री श्याम मन्दिर में श्री श्याम मण्डल के तत्वावधान में आयोजित श्री शिव महापुराण व्याख्यान के दूसरे दिन चिन्मय मिशन के स्वामी श्री परिपूर्णानन्द जी के व्यास पीठ पर विराजमान होने के पश्चात पारम्परिक पूजन के बाद स्वामी जी ने आज महाशिवपुराण व्याख्यान को आगे बढ़ाते हुए बताया कि महर्षि वेदव्यास जी द्वारा कुल 18 पुराणों की रचना की गयी जिनमें महाशिवपुराण वेद व्यास जी की अलौकिक एवं अनूठी रचना है.
महाशिवपुराण में 24 हजार श्लोक एवम 7 संहिता
इसमें कुल 24 हजार श्लोक एवम 7 संहिता है . श्रावण मास में महाशिवपुराण का वाचन एवम श्रवण दोनों ही अति उत्तम फल दाई है. शिव सदा स्वम मंगल हैं- शिव ही सत्य है- शिव ही सुन्दर है, इसलिए कहा गया है सत्यम शिवम सुंदरम.
महा सदाशिव गुरु का स्थान भी रखते हैं
आगे अपने व्याख्यान में कहा कि महा सदाशिव गुरु का स्थान भी रखते हैं – गुरु में सभी तत्व विराजमान रहते हैं जिनको पाने से अंधकार दूर हो कर प्रकाश फैलाता है. ईश निन्दा से मनुष्य पाप का भागी होता है. शिव ही रुद्रदेव हैं और शिव ही श्रृष्टि के पालक और पापों के संघहार करता भी हैं.
शिव पूजन भव पार करने का सुगम मार्ग
चातुर्मास में भगवान विष्णु के शेष शय्या पर निद्रा में रहने के दौरान शिव ही सम्पूर्ण श्रृष्टि के सभी भार संभालते हैं. शिव पूजन, शिव वन्दन व शिव महिमा का श्रवण कलयुग में भव पार करने का अत्यंत सरल एवम सुगम मार्ग है.
भक्ति ही भगवान व जीवों से प्रेम का मार्ग दिखलाता है
शिव महापुराण के प्रायोजन विषय पर व्याख्यान को आगे बढ़ाते हुए स्वामी जी ने कहा की वेदान्त तथा आत्मज्ञान का वर्णन पुराण में है- इसके अधिकारी ही भगवान से प्रेम करते हैं- भक्ति ही भगवान व जीवों से प्रेम का मार्ग दिखलाता है. शैव का तिलक पुराण हैं- यह शिव की प्राप्ति करा कर परम गति प्रदान करता है- यह मननीय, चिन्तन करने योग्य, वर्णन करने योग्य व शिवत्व की प्राप्ति के लिए है.
कथा का यू ट्यूब पर भी प्रकाशन
महाशिव पुराण की पूरी कथा श्री श्याम मण्डल, रांची के यू ट्यूब पर प्रकाशन किया जा रहा था. बीच बीच में स्वामी जी ने मधुर वाणी से सुन्दर श्रोत पाठ एवम शिव के भजनों से पूरे मन्दिर परिसर की शिवमय बना दिया.
भक्तों की अपार भीड़ उमड़ी
आज भगवान शिव की महिमा एवम उनका गुणगान सुनने के लिए भक्तों की अपार भीड़ थी. अन्त में परिवार सहित श्री श्याम अग्रवाल ने महा शिवपुराण की समापन आरती की तथ पश्चात सभी भक्तों के बीच प्रसाद वितरण कर आज के कार्यक्रम का समापन किया गया.
कार्यक्रम को सफल बनाया
आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में धीरज बंका, सुदर्शन चितलांगिया, मनोज सिंघानिया, अरुण धनुका, सुनील मोदी, नितेश लाखोटिया , राजेश सारस्वत, लल्लू सारस्वत, गोपी किशन ढांढनीयां, ओम जोशी का सहयोग रहा.