Paripurnanand

महादेव हर जीव के जीवन में अनुग्रह करने वाले देव : स्वामी श्री परिपूर्णानन्द

राँची

रांची : अग्रसेन पथ स्थित श्री श्याम मन्दिर के सुसज्जित प्रांगण में श्री श्याम मण्डल द्वारा आयोजित महाशिवपुराण यज्ञ के छठवें दिन श्रावण के फुवारो के बीच भक्तों का उत्साह एवम उमंग चरम पर था. अपराह्न 4 बजे स्वामी श्री परिपूर्णानन्द जी व्यास पीठ पर विराजमान होने के पश्चात पारंपरिक पूजन वंदन के साथ स्वामी जी के श्री मुख महाशिवपुराण व्याख्यान का अमृत रस की वर्षा प्रारम्भ हुई.

शिव पूजन से लोक- परलोक दोनों सुधरता है

स्वामी जी ने कहा कि महादेव हर जीव के जीवन में अनुग्रह करने वाले देव हैं साथ ही शिव पूजन से लोक एवम परलोक दोनों सुधरता है , इस जगत में हर मनुष्य को सदेव मर्यादा का पालन करना चाहिए- मर्यादा रहित जीवन, जीवन को धिक्कार है – परमात्मा के साथ वात्सल्य रूप से तारतम्य स्थापित करने से जीवन सुखमय एवम मंगलमय हो जाता है.

सदाशिव कृपा सिंधु हैं, दीनबंधु हैं

सदाशिव कृपा सिंधु हैं, दीनबंधु हैं और दया के अथाह सागर हैं- व्यास रचित महाभारत महाग्रंथ का महिमा का वर्णन करते हुए स्वामी जी ने कहा की जिस घर में यह ग्रंथ रहता है वह घर पवित्र ही जाता है. महाभारत ग्रंथ पंचम वेद है जो भी संसार में घटित होता ही अथवा होगा इस ग्रंथ में समाहित है साथ ही कहा की शिव मृत्युंजय है. महामृत्युंजय के जाप से जीव पर आने वाले सब प्रकार के कष्टों का निवारण हो जाता है.

गणपति उत्पति का वर्णन किया

 परहित के समान दूसरी पूजाधर्म नहीं है – परपीडा को दूर करना अत्यंत शुभ है. गणपति उत्पति का अतिसुंदर वर्णन करते हुए स्वामी जी ने सामूहिक गणेश वन्दना की, आगे स्वामी जी कहते हैं अहिंसा परमो धर्म है. इस सूक्त वाक्य का विस्तृत व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा की धर्म की रक्षा के लिए की गई हिंसा क्षमा योग्य है. साथ ही विश्वकर्मा द्वारा निर्मित रथ जिसके सारथी स्वयं ब्रम्हा हैं और बाण भगवान विष्णु हैं उसपर सवार होकर शिव जी ने त्रिपुर राक्षस का संहार कर त्रिपुरारी नाम पाया. 

राधा प्रसंग का वर्णन करते हुए सुंदर भजन गाये

स्वामी जी ने महाशिवपुराण में राधा प्रसंग का वर्णन करते हुए अति सुंदर भजन प्रबल प्रेम के पाले पड़कर – प्रभु को नियम बदलते देखा, भक्तगण इस भजन की तान पर प्रेम रस में गोता लगाने लगे साथ ही स्वामी जी ने कहा की सत्य ही परब्रम्ह हैं- सत्य ही परम तप हैं – सत्य ही श्रेष्ठ यज्ञ है और सत्य ही उत्कृष्ट ज्ञान शास्त्र है – एक सहस्त्र अश्वमेघ और लाखों यज्ञ तराजू के एक पलड़े पर रखें और दूसरे पलड़े पर सत्य रखें तो सत्य का पलड़ा ही सदेव भारी रहेगा.

जाजोदिया परिवार ने प्रसाद वितरण किया

व्याख्यान समाप्ति के बाद श्री गंगाधर जी जाजोदिया एवम उनके परिवार के द्वारा आज के समापन महाआरती के पश्चात प्रसाद वितरण के साथ आज के कार्यक्रम का समापन किया गया.

इनका रहा सहयोग

आज के इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सुदर्शन चितलांगिया, बालकिशन परसरामपुरिया, प्रदीप अग्रवाल, विकाश पाड़िया, अशोक लाठ, महेश शर्मा, अमित जलान, मनोज ढांढनीयां, अनुराग पोद्दार, नितेश लाखोटिया का सहयोग रहा.

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