लोकसभा चुनाव : लोहरदगा संसदीय सीट पर भाजपा और कांग्रेस में होती है कांटे की टक्कर

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रांची : राज्य की राजधानी रांची से अलग होकर लोहरदगा संसदीय क्षेत्र 1957 में दूसरे लोकसभा आम चुनाव के समय अस्तित्व में आया. पहले चुनाव में यहां से झारखंड पार्टी के इग्नी बेक ने जीत दर्ज की. झारखंड पार्टी को कुल 43.5 प्रतिशत वोट मिले थे. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 30.30 फीसदी मत मिले थे. जतम खरवार को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था.

लोहरदगा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. वर्ष 1957 से 2019 तक हुए 15 चुनावों में कांग्रेस ने यहां सात बार जीत दर्ज की है. हालांकि, इन चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस को कांटे की टक्कर दी है. लोहरदगा में पिछले तीन लोकसभा चुनावों 2009, 2014 और 2019 में भाजपा ने जीत हासिल करते हुए हैट्रिक लगाई है लेकिन वोट प्रतिशत जिस तरीके से रहा है उसके लिए भाजपा के लिए यह चिंता का विषय भी रहा है. क्योंकि, वोट का प्रतिशत काफी काम रहा है. इस बार इस सीट से भाजपा ने सुदर्शन भगत की जगह समीर उरांव पर दांव लगाया है.

वर्ष 1962 के चुनाव में यहां से स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार डेविड मुंजनी ने जीत दर्ज की थी. इन्हें कुल 41.6 फीसदी वोट मिले. हालांकि, 1962 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार को बदल दिया. यहां से इग्नी बेक की जगह कांग्रेस पार्टी ने कार्तिक उरांव को टिकट दिया. कार्तिक उरांव को कल 29.9 फीसदी वोट मिले. झारखंड पार्टी को 22.7 फीसदी वोट मिले थे.

कांग्रेस ने 1967 में जीत दर्ज की

वर्ष 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर नए उम्मीदवार पर अपना दांव खेला. इस बार उन्होंने के दोरांव को टिकट दिया. उन्होंने लोहरदगा सीट पर जीत दर्ज की और कुल 37 फीसदी मत प्राप्त किए. भारतीय जनसंघ को 17.1 फीसदी वोट मिले. वर्ष 1971 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर अपने उम्मीदवार को बदला और 1962 के अपने उम्मीदवार कार्तिक उरांव को फिर से टिकट दिया. इस सीट पर फिर से कार्तिक उरांव ने जीत दर्ज की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 51.5 फीसदी मत मिले जबकि भारतीय जनसंघ की रूपना उरांव को 18 प्रतिशत वोट मिले.

वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल लोहरदगा सीट पर कब्जा किया. भारतीय लोक दल के लालू उरांव को 54.9 फीसदी वोट मिले जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्तिक उरांव को सिर्फ 29.99 प्रतिशत वोट मिल पाए.

वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक बार फिर लोहरदगा सीट पर जीत दर्ज किया.भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्तिक उरांव ने इस बार 49.5 प्रतिशत मत प्राप्त किए. जनता पार्टी की करमा उरांव ने 22.99 फीसदी और भारतीय लोक दल से चुनाव लड़े लालू उरांव ने जनता पार्टी सेकुलर के साथ चुनाव लड़ा कर 9.6 फीसदी वोट हासिल किए.

वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में लोहरदगा सीट पर फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कब्जा किया. हालांकि, कांग्रेस ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बदला और सुमति उरांव को उम्मीदवार बनाया. इन्हें कुल 57.5 फीस दी वोट मिले थे. भाजपा के ललित उरांव ने 20.02 प्रतिशत मत हासिल किए जबकि जनता पार्टी 7.5 फीसदी मत हासिल कर पाई.

कांग्रेस ने 1989 में भी जीता सीट

वर्ष 1989 में भी यह सीट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पास रही. यहां से सुमति उरांव ने जीत दर्ज की. सुमति को कुल 38.6 फीसदी मत मिले जबकि भाजपा के ललित उरांव को कुल 28.4 फीसदी मत प्राप्त हुए. जनता दल इस बार 18 फीसदी मत लेने में कामयाब रही थी.

भाजपा ने पहली बार भाजपा ने 1991 में फतह किया सीट

वर्ष 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत हुई. भाजपा के ललित उरांव कुल 36.4 फीसदी वोट हासिल कर इस सीट पर कब्जा किया जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को इस बार 22.2 फीसदी वोट मिले. जनता दल को 16.4 फीसदी वोट को मिले थे. वर्ष 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के कब्जे में रही.यहां से ललित उरांव ने जीत हासिल किया. इस बार भाजपा को कुल 33 फीसदी मत मिले. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यहां पर अपने उम्मीदवार को बदल दिया था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस बार फिर से बंदी उरांव को अपना उम्मीदवार बनाया था. इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 24.6 फीसदी वोट मिले जबकि जनता दल को 17.7 फीसदी और झामुमो को 14.8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए.

1998 में फिर जीती कांग्रेस

वर्ष 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर अपना उम्मीदवार बदलता और इंद्रनाथ भगत को उम्मीदवार बनाया. इंद्रनाथ भगत को कुल 44.5 फीसदी मत मिले जबकि भाजपा के ललित उरांव को 40.8 फीसदी मत प्राप्त हुए. एक बार फिर कांग्रेस ने यहां जीत हासिल की.

भाजपा ने 1999 में जीत दर्ज की

वर्ष 1999 की हुई लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार बदल दिया और जीत हासिल की. इस बार भाजपा ने दुखा भगत को अपना उम्मीदवार बनाया. भाजपा को कुल 44.2 फीसदी वोट यहां मिले. हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इंद्रनाथ भगत भी कांटे की टक्कर देकर मैदान में थे. उन्हें 43.2 फीसदी वोट मिले थे.

झारखंड में 2004 में हुए पहला लोकसभा चुनाव

बिहार झारखंड बंटवारे के बाद झारखंड में 2004 हुए पहले लोकसभा चुनाव में लोहरदगा सीट कांग्रेस के खाते में गई. हालांकि, कांग्रेस ने इस बार के लोकसभा चुनाव में फिर उम्मीदवार को बदलते हुए रामेश्वर उरांव को अपना उम्मीदवार बनाया था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को इस बार 47.2 फीसदी मत प्राप्त हुए थे जबकि भाजपा ने अपने उम्मीदवार दुखा भगत पर ही दम लगाया था और इन्हें कुल 28.6 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.

भाजपा ने 2009 में जीती सीट

बिहार झारखंड बंटवारे के बाद झारखंड में 2009 में दूसरी बार लोकसभा चुनाव हुआ. इसमें भाजपा ने अपने उम्मीदवार को बदला. इस बार भाजपा ने सुदर्शन भगत को अपना उम्मीदवार बनाया. सुदर्शन भगत ने इस सीट पर कुल 27.7 फीसदी वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की. यहां निर्दलीय उम्मीदवार चमरा लिंडा ने 26.11 फीसदी वोट प्राप्त किए. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को 24.8 की प्रतिशत मत प्राप्त हुए. वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव इस सीट के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा.

मोदी लहर का 2014 में दिखा असर

मोदी के लहर में 2014 में हुए इस लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की. भाजपा के सुदर्शन भगत को कुल 34.830 प्रतिशत मत प्राप्त हुए जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को 33.8 की प्रतिशत मत प्राप्त हुए. हालांकि, चमरा लिंडा इस बार ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े थे और उन्हें कुल 18.3 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे. वर्ष 2014 में भी यह सीट काफी कांटे की टक्कर में भाजपा ने जीती.

वर्ष 2019 में इस सीट पर भाजपा के सुदर्शन भगत ने जीत को दर्ज की लेकिन जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं रहा. भाजपा को 45.5 फीसदी मत मिले थे. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उम्मीदवार का बदलाव करते हुए सुखदेव भगत को टिकट दिया था, जिन्हें 44.20 रिपोर्ट यहां प्राप्त हुए थे. काफी कांटे की टक्कर में 2019 की सीट भाजपा के कब्जे में आई थी.