लखनऊ : लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत सामारोह का आयोजन किया गया. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ने दीक्षांत सामारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी में भी एलएलबी की पढ़ाई होनी चाहिए.
हिंदी में भी एडवोकेट बेहतर तरीके से पक्ष रखते हैं. जज और वकील तो अंग्रेजी को समझ सकते हैं, लेकिन आम आदमी को इसमें दिक्कत है. इसलिए अंग्रेजी के साथ-साथ स्थानीय भाषा में भी फैसले होने चाहिए.
इसके साथ ही सीजेआई ने कहा कि कोर्ट में कई फैसले अंग्रेजी में होने के कारण आम लोगों को समझ में नहीं आते हैं. दीक्षांत समारोह में सीएम योगी आदित्यनाथ और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली भी मौजूद थे.
वकील हिंदी में भी बेहतर तरीके से रखते हैं पक्ष
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय को हिंदी में एलएलबी का कोर्स कराना चाहिए.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति आपके विश्वविद्यालय के पड़ोस के गांव में, गांव से विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय की विधिक सहायता केंद्र में आता है और अपनी जमीन से जुड़ी समस्या को बताता है, लेकिन यदि छात्र को खसरा और खतौनी का मतलब ही नहीं पता है तो छात्र उस व्यक्ति को कैसे मदद कर पाएगा.
इसलिए जमीन संबंधित क्षेत्रीय कानूनों के बारे में भी छात्र को जानकारी देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मुंबई हाईकोर्ट से जब वो इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे तो समझ आया कि वहां के वकील हिंदी में भी बेहतर तरीके से अपना पक्ष रखते हैं.
सीजेआई ने कहा कि उन्होंने 81 कॉलेज का सर्वे किया और पाया कि अंग्रेजी न मालूम होने से आम जनता को बहुत दिक्कत होती है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हिंदी में हो रहा अनुवाद
सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में ऐसे कई निर्देश दिए हैं, जिससे न्याय की प्रक्रिया को आम लोगों के लिए आसान बनाया जा सके.
इसमें सुप्रीम कोर्ट के अंग्रेजी में दिए गए फैसलों का भारत की विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है. जिससे आम जनता भी समझ सके कि निर्णय में आखिर लिखा क्या गया है.
आज 1950 से लेकर 2024 तक सर्वोच्च न्यायालय के 37000 निर्णय है, जिनका हिंदी में अनुवाद हो गया है और यह सेवा सब नागरिकों के लिए मुफ्त है.