खूंटीँ : जीवन में कठिनाइयां चाहे जैसी भी हों, अगर मन में कुछ करने का जज्बा औ समर्पण हो तो कोई भी रुकावट मुश्किल नहीं लगती. खूंटी जिले के सिल्दा गांव के दो युवा तीरंदाज, लक्ष्मी परधिया और झोंगो पाहन, इस बात के बेहतरीन उदाहरण हैं. ये दोनों खिलाड़ी अपनी कड़ी मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास के साथ न सिर्फ अपनी दिव्यांगता को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि खेल के बड़े मंचों पर भी अपनी और खूंटी जिले की पहचान बनाने की ओर अग्रसर हैं. छह से 12 जनवरी तक राजस्थान के जयपुर में आयोजित होनेवाली 6वीं राष्ट्रीय पैरा तीरंदाजी प्रतियोगिता में दोनों तीरंदाजी झारखंड की टीम का प्रतिनिधित्व करेंगे.
लक्ष्मी केजीबीवी मुरहू विद्यालय की 12वीं की छात्रा है और महज एक महीने पहले यानी गत दिसंबर से ही उसने आर्चरी का अभ्यास शुरू किया, वहीं झोंगो नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय विद्यालय में दसवीं का छात्र है. दोनों के लिए तीरंदाजी सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि उनके सपनों को पूरा करने का जरिया बन गई है.. दिसंबर 2023 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों सम्मानित हो चुके झोंगों पाहन पिछली बार पंजाब के पटियाला में हुए नेशनल पैरा आर्चरी गेम्स में भाग ले चुका हैं.
कराटे में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी लक्ष्मी
बचपन में हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे में अपने तलवे को गंवा चुकने के बावजूद लक्ष्मी परधिया ने कभी हार नहीं मानी और पहले कराटे और अब तीरंदाजी में अपनी दिव्यांगता को चुनौती देते हुए अपनी नई पहचान बनाने में जुटी है. झोंगो पाहन की स्थिति भी अलग नहीं है. वह पोलियो से ग्रस्त हैं, लेकिन यह शारीरिक समस्या उसे तीरंदाजी के प्रति अपने प्यार और समर्पण से नहीं हटा सकी. पैरा ओलंपिक खेलों में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने और भारत का नाम रौशन करने का सपना ही अब इन दोनों खिलाड़ियों का एक मात्र लक्ष्य है. झोंगो के पिता गुसु पाहन गांव में चरवाहा हैं, जबकि लक्ष्मी के पिता अन्य राज्य में मजदूरी करते हैं. उनके परिवारों की हालत बेहद कठिन है. फिर भी इन बच्चों ने अपनी मेहनत और संघर्ष से यह साबित कर दिया है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी मुश्किल नहीं ठहर सकती..गरीबी और शारीरिक चुनौतियों के बावजूद, इन दोनों ने कभी अपने सपनों को मरने नहीं दिया. लक्ष्मी और झोंगो, नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय विद्यालय के तीरंदाजी केंद्र में अभ्यासरत हैं. तीरंदाजी केंद्र के कोच आशीष कुमार दोनों खिलाड़ियों की प्रतिभा से बेहद प्रभावित हैं और उनका कहना है कि दोनों युवा खिलाड़ी शारीरिक दृष्टि से भले ही दिव्यांग हों, लेकिन उनका शरीर तीरंदाजी के लिए बेहद अनुकूल और उपयुक्त है. साथ ही उनकी कड़ी मेहनत, नियमित अभ्यास और कुछ अलग करने का जज्बा उन्हें भविष्य में बड़ी सफलता दिला सकता है.
क्या कहती हैं स्कूल की वार्डन
नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय विद्यालय की वार्डन प्रतिमा देवी ने इन दोनों खिलाड़ियों की उपलब्धियों पर गर्व जताया और कहा, यह हमारे विद्यालय और जिले के लिए गर्व की बात है कि इन बच्चों ने सीमित संसाधनों के बावजूद राज्य का प्रतिनिधित्व किया है. ये बच्चे सिद्ध कर रहे हैं कि अगर लगन और समर्पण से काम किया जाए, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. उन्होंने विद्यालय परिवार की ओर से इन दोनों खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं. वहीं केजीबीवी मुरहू की वार्डन प्रियंका कश्यप,एवं खेल शिक्षिका श्वेता कुमारी ने कहा कि यह उपलब्धि हमारे विद्यालय के लिए गौरव का विषय है. उन्होंने कहा क दोनों खिलाड़ी दूसरों के लिए प्रेरणाश्रोत बनेंगे.