खूंटी : खूंटी जिला इन दिनों पूरी तरह दुर्गा पूजा के रंग रंग गया है. क्या कस्बा और क्या शहर, हर जगह भव्य पूजा पंडालों का निर्माण किया जा रहा है. शहरी क्षेत्र में नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशति के पाठ से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है. कहीं मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, तो साज-सज्जा का काम किया जा रहा है. जिला मुख्यालय के अलावा प्रखंड मुख्यालयों सहित ग्रामीण इलोकों में भी आकर्षक पंडालों का निर्माण किया जा रहा है. पंडालों की साज-सज्जा और भव्यता देखकरर तो लगता है मानो, सबसे सुंदर पंडाल बनाने को लेकर पूजा समितियों में होड़ सी मच गई है. कहीं इंडोनेशिया के कलात्मक मंदिर की प्रतिकृति बनाई जा रही है, तों कही महिषासुरमर्दिनी की जीवंत झांकी प्रस्तुत की जाएगी. पूजा को लेकर बाजार में भी हलचल बढ़ गई है.
बाजार टांड के पंडाल में इंडोनेशिया के कलात्मक मंदिर में विराजेंगी माता दुर्गा
जिला मुख्यालय के पूजा पंडालों में बाजार टांड़ स्थित श्री श्री सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति का पंडाल भी हमेशा भक्तों के आकर्षण का केंद्र रहा है. वर्ष 1995 से बाजार टांड़ में हो रही दुर्गा पूजा के आयोजन में प्रत्येक साल सुंदर एवं मन भावन पूजा पंडाल का निर्माण कर इस पूजा समिति ने श्रद्धालुओं के बीच अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर ली है. श्री श्री सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति बजार टांड के अध्यक्ष सत्यम मिश्रा और महामंत्री शशि कुमार मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष भी पूजा समिति द्वारा भव्य पूजा का आयोजन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष साढ़े तीन लाख की लागत से इंडोनेशिया के मंदिर के भव्य और कलात्मक प्रायप का निर्माण कराया जा रहा है. लगभग एक माह से बंगाल के दर्जनों कुशल कारीगर पंडाल के निर्माण कार्य में दिन-रात जुटे हैं.
इंडोनेशिया के कलात्मक मंदिर के अंदर विराजमान होकर माता रानी भक्तों को दर्शन देंगी
इंडोनेशिया के कलात्मक मंदिर के अंदर विराजमान होकर माता रानी भक्तों को दर्शन देंगी. इसके अलावा पूरे क्षेत्र में सुंदर और मन भावन विद्युत सज्जा भी की जाएगी. उन्होंने बताया कि नवमी तिथि को पूजा पंडाल के समीप माता का जगराता कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा. इस कार्यक्रम में धनबाद, पलामू और रांची के कलाकारों द्वारा सु मधुर भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी. पूरे आयोजन में लगभग आठ लाख रुपये खर्च का अनुमान है.
28 साल पुराना इतिहास है बाजारटांड़ पूजा समिति का
वर्ष 1995 में पहली बार सूर्यकांत मिश्रा, शिवचरण दास, कमलेश कुमार, मदन मोहन मिश्रा, दिलीप मिश्रा, नवीन कुमार मिश्रा, योगेश राम वर्मा, दिलीप वर्मा, सरोज चौधरी आदि ने एक समिति का गठन कर यहां पूजा की शुरुआत की, जो अब तक अनवरत जारी है. समय के साथ-साथ पूजा पंडाल के आकार और साज- सज्जा में बढ़ोतरी होती गई और आज इस पूजा पंडाल की गिनती शहर के प्रमुख पूजा पंडालों में होती है.