Khunti : तोरपा स्थित रेफरल अस्पताल में किसी डॉक्टर के नहीं रहने के कारण एक घायल मरीज की जान चली गयी. इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने शुक्रवार को सुबह अस्पताल गेट के सामने रांची- सिमडेगा रोड पर जाम लगा दिया. अपराह्न दो बजे अंचलाधिकारी सच्चिदानंद वर्मा ने मृतक के आश्रितों को 25 हजार रुपये की तत्काल सहायता राशि देने और शीघ्र एक लाख रुपये देने का आश्वासन दिया, जिसके सड़क पर जाम समाप्त हुआ.
ट्रैक्टर चलाने के दौरान घायल हुआ था वीरेंद्र मांझी
जानकारी के अनुसार तोरपा थाना के कसमार गांव निवासी वीरेंद्र मांझी शुक्रवार को ट्रैक्टर चलाने के दौरान दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया. उसके स्वजन सुबह लगभग साढ़े आठ बजे उसे लेकर अस्पताल पहुंचे लेकिन अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था. काफी देर तक तड़पने के बाद उसकी मौत हो गयी.
ग्रामीणों ने अस्पताल के मुख्य द्वार पर ताला जड़ा
वीरेंद्र की मौत होते ही ग्रामीण उग्र हो गए और सड़क पर धरने पर बैठ गए. उग्र ग्रामीणों ने अस्पताल के मुख्य द्वार पर ताला भी जड़ दिया. इससे सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं. सड़क जाम की सूचना मिलते ही अंचलाधिकारी सच्चिदानंद वर्मा, प्रखंड विकास पदाधिकारी दयानंद कारजी, थाना प्रभारी मनीष कुमार अस्पताल गेट पहुंचे और सड़क पर बैठे लोगों को समझाने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीण डयूटी से नदारत डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े थे.
अस्पताल के कर्मचारियों ने कहा- वीरेंद्र की मौत पहुंचते ही हो गयी थी
इधर, अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि अस्पताल पहुंचते ही वीरेंद्र की मौत हो चुकी थी. बताया गया कि रेफरल अस्पताल में डॉक्टर गुरुवार की रात से लेकर शुक्रवार को सुबह दस बजे तक डॉक्टर मुकेश कनौजिया की ड्यूटी थी लेकिन वह सुबह ही अस्पताल छोड़कर चले गए, जबकि दूसरे डॉक्टर के आने के बाद ही उन्हें अस्पताल छोड़ना था.
कोचे मुंडा ने विधानसभा में उठाया रेफरल अस्पताल का मामला
Khunti : तोरपा रेफरल अस्पताल के डॉक्टरों के नदारत रहने और इसके कारण वीरेंद्र मांझी की मौत के मामले को विधानसभा में उठाते हुए तोरपा के भाजपा विधायक कोचे मुंडा ने कहा कि अस्पताल से चिकित्सकों के गायब रहने का यह कोई पहला मामला नहीं है. विधायक ने रेफरल अस्पताल के डॉक्टर मुकेश कनौजिया को बर्खास्त करने और मृतक के आश्रितों को दस लाख रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की.