खादी आत्मनिर्भरता और श्रम की गरिमा का प्रतिनिधित्व करती है: राज्यपाल

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रांची : राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने मंगलवार को कहा कि खादी महोत्सव न केवल हमारी संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि ग्रामीण विकास और स्वरोजगार के लिए एक सशक्त मंच भी है. उन्होंने खादी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सिद्धांतों का प्रतीक बताते हुए कहा कि खादी आत्मनिर्भरता और श्रम की गरिमा का प्रतिनिधित्व करती है. यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक रही है और आज भी हमारे कारीगरों को रोजगार देने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और आत्मनिर्भरता को सशक्त बना रही है.

राज्यपाल मंगलवार को झारखंड राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड के तत्वावधान में आयोजित “राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव 2024-25” के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान “खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन” का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में खादी को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली है. ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से खादी को जन आंदोलन बनाने की उनकी पहल से ग्रामीण कारीगरों और श्रमिकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है.

राज्यपाल ने कहा कि प्रसन्नता है कि इस महोत्सव के माध्यम से महिला उद्यमियों के जरिये तैयार हस्तनिर्मित उत्पादों से महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर हो सकती हैं, बल्कि देश की आर्थिक समृद्धि में भी महत्वपूर्ण योगदान कर सकती हैं. उन्होंने इस महोत्सव में भाग लेने वाले बुनकरों, हस्तशिल्पियों और कारीगरों को बधाई दी. साथ ही कहा कि इन कारीगरों के श्रम और कौशल ने झारखंड के ग्रामीण उद्यमों की अपार संभावनाओं को प्रदर्शित किया है.

राज्यपाल ने आम जनमानस से खादी उत्पादों को अपनाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि इन उत्पादों को अपनाकर हम न केवल हमारे ग्रामीण कारीगरों को सशक्त बना सकते हैं, बल्कि उनकी आर्थिक समृद्धि की दिशा में भी योगदान कर सकते हैं. साथ ही राज्यपाल ने झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, ग्रामीण विकास विभाग, झारखंड सरकार और सभी स्टॉलधारकों एवं कारीगरों को इस आयोजन की सफलता के लिए बधाई दी.

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