केजरीवाल ने कांग्रेस नेताओं को पत्र लिखकर विधेयक पर समर्थन के लिए दिया धन्यवाद

राष्ट्रीय

नयी दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर दिल्ली सेवा विधेयक को खारिज करने और इसके खिलाफ वोट करने में समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया है.

केजरीवाल ने कहा- दिल्ली के दो करोड़ लोगों की ओर से आभार

कांग्रेस नेताओं को लिखे अपने पत्रों में, केजरीवाल ने कहा कि वह जीएनसीटीडी (संशोधन) विधेयक, 2023 को अस्वीकार करने और उसके खिलाफ मतदान करने में आपकी पार्टी के समर्थन के लिए दिल्ली के दो करोड़ लोगों की ओर से आभार व्यक्त करते हैं.

विधेयक पर कांग्रेस के विरोध दशकों तक याद रखा जाएगा

कांग्रेस की सराहना करते हुए उन्होंने आगे कहा कि विधेयक पर कांग्रेस के विरोध को “दशकों तक याद रखा जाएगा”. केजरीवाल ने कहा कि वह संविधान को कमजोर करने वाली ताकतों के खिलाफ लड़ाई में निरंतर समर्थन की उम्मीद करते हैं. उन्होंने कहा, “मैं संसद के अंदर और बाहर दिल्ली के लोगों के अधिकारों की वकालत करने के लिए हार्दिक सराहना करना चाहता हूं. मुझे यकीन है कि हमारे संविधान के सिद्धांतों के प्रति आपकी अटूट निष्ठा दशकों तक याद रखी जाएगी.”

मनमोहन सिंह की सराहना-  खराब स्वास्थ्य के बावजूद उपस्थित रहे

खराब स्वास्थ्य के बावजूद राज्य सभा में उपस्थित होने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सराहना करते हुए केजरीवाल ने कहा कि राज्यसभा में आपकी उपस्थिति ने उन सभी ताकतों को एक जोरदार और स्पष्ट संदेश दिया जो भारतीय लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान के सिद्धांतों के प्रति आपकी दृढ़ प्रतिबद्धता दशकों तक याद रखी जाएगी, और आने वाली पीढ़ियों के सांसदों को गहराई से प्रेरित करेगी.

विरोध के बावजूद राज्यसभा ने सोमवार को विधेयक पारित कर दिया

कांग्रेस और उसके सहयोगियों के विरोध के बावजूद राज्यसभा ने सोमवार को विधेयक पारित कर दिया. 03 अगस्त को लोकसभा में पारित हुआ यह विधेयक दिल्ली में नौकरशाहों पर केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल को नियंत्रण प्रदान करता है.

राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद मई में जारी अध्यादेश का स्थान ले लेगा

एक बार जब राष्ट्रपति विधेयक पर हस्ताक्षर कर देते हैं और इसे अधिसूचित कर दिया जाता है, तो यह 11 मई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रभावी ढंग से पलटने के लिए मई में जारी अध्यादेश का स्थान ले लेगा, जिसने पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर नौकरशाही का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था.

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