रांची : अखिल भारतीय भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने झारखंड में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक को लेकर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव द्वारा बहुसंख्यक बिहारियों के खिलाफ हेमन्त सरकार के कैबिनेट निर्णय का समर्थन कर जनविरोधी बयान देने से चिंता जतायी है.
भाषाई विवाद के खिलाफ दी गयी थी कड़ी प्रतिक्रिया
मंच की ओर से कैलाश यादव ने कहा कि हेमन्त मंत्रिमंडल की ओर से भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका भाषाई विवाद के खिलाफ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने सीएम हेमंत सोरेन के विरोध में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.
तेजस्वी के बयान देने से करोड़ो लोगों में निराशा है
तेजस्वी यादव के द्वारा 1932 के विषय पर नासमझी भरा बयान देने से झारखण्ड के कोने कोने में वर्षो से निवास करने वाले बिहार, यूपी, उड़ीसा, बंगाल, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब सहित अन्य बाहरी जगहों के करोड़ो लोगों ने निराशा व्यक्त किया है.
बिहारियों को राजद के शीर्ष नेताओं से काफी उम्मीदें
बिहारियों को राजद के शीर्ष नेताओं के काफी उम्मीदे थी, लेकिन हेमन्त सरकार द्वारा असंवैधानिक 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक का समर्थन करने से निश्चित तौर पर राजद के प्रति अब लोगों में अविश्वास पैदा हुआ है, क्योंकि जमीनी स्तर पर स्थानीय लोगों के लिए तेजस्वी यादव कुछ खास मॉडल पेश कर नहीं सके जिस कारण से यहां के लोग गोलबंद हो सके.
स्थानीय नीति का विरोध व भाषाओं पर होगा बड़ा सम्मेलन
श्री यादव ने कहा कि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का विरोध करने एवं भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका सहित अन्य भाषाओं को राज्य के द्वितीय राजभाषा में शामिल करने की मांग को लेकर मंच के तत्वावधान में होली के उपरांत रांची में एक बड़ा सम्मेलन कर पुनः प्रांतीय स्तर पर जनांदोलन का रणनीति अख्तियार किया जाएगा.