रांची

10वीं वर्ल्ड वुशु कुंगफू चैंपियनशिप में झारखंड की बेटियों का जलवा, श्रेया कुमारी और पूर्णिमा लिंडा ने जीता कांस्य पदक

रांची/चीन : झारखंड की बेटियों ने एक बार फिर राज्य और देश का नाम रौशन किया है। चीन के ईमेशन शहर में आयोजित 10वीं वर्ल्ड वुशु कुंगफू चैंपियनशिप में भारत की दो प्रतिभाशाली खिलाड़ी — श्रेया कुमारी और पूर्णिमा लिंडा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया। दोनों खिलाड़ियों के इस प्रदर्शन से न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई है।

राष्ट्रीय चयन ट्रायल से मिली जगह, विश्व मंच पर दिखाया दम

दोनों खिलाड़ियों का चयन मणिपुर में आयोजित राष्ट्रीय चयन ट्रायल्स के आधार पर भारतीय टीम में हुआ था।
टीम के कोच के रूप में श्री शंभू सेठ को जिम्मेदारी दी गई थी।
गौरतलब है कि पूर्णिमा लिंडा इससे पहले मास्को इंटरनेशनल प्रतियोगिता में भी भारत को पदक दिला चुकी हैं, जबकि श्रेया कुमारी ने पहली ही विश्व प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन किया।

खेल जगत में खुशी की लहर

झारखंड की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर पूरे खेल जगत में हर्ष और गर्व का माहौल है। राज्य के खेल सचिव श्री मनोज कुमार, खेल निदेशक श्री शेखर जमुआर, झारखंड ओलंपिक संघ के महासचिव डॉ. मधुकांत पाठक और झारखंड वुशु संघ के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद डॉ. प्रदीप वर्मा ने दोनों खिलाड़ियों को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

इसके अलावा डॉ. कविता सिंह, मिथलेश साहू, डॉ. अंशु साहू, चंचल भट्टाचार्य, कुमुद प्रसाद साहू, उदय साहू, प्रियदर्शी अमर, शैलेन्द्र कुमार, श्रीमती अनिका सिंह, डॉ. उदीप लाल, मनोज कुमार महतो, मनोज साहू, शशिकांत पांडे, रज़ि अहमद, गोकुलनंद मिश्रा, वाहिद अली, आज़ाद पाठक, शैलेन्द्र दुबे, धर्मवीर सिन्हा, रत्नेश कुमार, दीपक गोप, आशीष गोप, अमासी बारला, संजय मंडल, कार्तिक राम, दिनेश यादव, अमरेंद्र दत्त द्विवेदी, प्रतिमा कुमारी, बिमला टोप्पो, सुशांति तोपनो, काजल किरण, मृतुंजय कुमार राय और शिवेंद्र दुबे सहित अनेक खेलप्रेमियों ने भी दोनों खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं।

कोच को भी सराहा गया

दोनों खिलाड़ियों की इस सफलता के पीछे उनके कोच दीपक गोप का अहम योगदान रहा।
खेल प्रेमियों ने उनके अथक परिश्रम और मार्गदर्शन की भी सराहना की।
कहा जा रहा है कि उनकी मेहनत और रणनीति ने ही खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार किया।

यह उपलब्धि झारखंड के लिए एक बार फिर यह साबित करती है कि राज्य की मिट्टी में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है — बस जरूरत है सही मार्गदर्शन और अवसर की।

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