एमजीएम अस्पताल की लापरवाही से पोटका निवासी की तड़प-तड़प कर मौत, समय पर नहीं मिला इलाज और एंबुलेंस
पूर्वी सिंहभूम, 23 जुलाई – झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। पोटका के कलिकापुर पोचापाड़ा निवासी वरुण भगत (38) की मंगलवार को एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर में इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर मौत हो गई।
परिजनों के अनुसार, कुत्ते के काटने के बाद वरुण की तबीयत बिगड़ गई थी। दोपहर करीब 1 बजे उसे अस्पताल लाया गया, लेकिन चार घंटे बीत जाने के बाद भी उसे न तो इलाज मिला, न ही रांची रेफर करने के लिए एंबुलेंस।
👉 इलाज नहीं मिला, सिर्फ एक इंजेक्शन देकर छोड़ दिया
परिजन जब वरुण को अस्पताल लेकर पहुंचे, तो डॉक्टरों ने कहा कि मरीज की हालत गंभीर है और रांची रिम्स रेफर करना पड़ेगा। 108 एंबुलेंस के लिए कॉल किया गया, लेकिन जवाब मिला कि सभी एंबुलेंस पहले से लाइन में हैं।
अस्पताल प्रशासन ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। वरुण चार घंटे तक फर्श पर तड़पता रहा — न बेड मिला, न ऑक्सीजन और न ही प्राथमिक चिकित्सा। सिर्फ एक इंजेक्शन देकर उसे छोड़ दिया गया।
😢 “घंटों गुहार लगाते रहे, किसी ने नहीं सुना”: पत्नी सविता भगत
वरुण की पत्नी सविता भगत का कहना है:
“घंटों डॉक्टरों से गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। वो तड़प रहा था, डॉक्टरों ने नजर तक नहीं डाली। अगर समय पर इलाज और एंबुलेंस मिलती, तो शायद उसकी जान बच जाती।”
⚠️ सिस्टम पर उठे सवाल: क्यों नहीं मिला इलाज?
राज्य सरकार ने एमजीएम अस्पताल को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने के कई वादे किए हैं, लेकिन इस घटना ने व्यवस्था की हकीकत उजागर कर दी है।
- बेड की कमी
- डॉक्टरों की लापरवाही
- एंबुलेंस की अनुपलब्धता
आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई हैं।
🚑 डॉक्टरों ने नहीं ली जिम्मेदारी
इलाज करने वाले डॉक्टर ने केवल इतना कहा कि मरीज की हालत बेहद गंभीर थी, उन्होंने पूरी कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। अव्यवस्था पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
