रांची : झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायाधीश जस्टिस नवनीत कुमार की कोर्ट में मंगलवार को हिंदूवादी नेता भैरव सिंह की डिस्चार्ज याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने भैरव सिंह के विरुद्ध दर्ज केस की केस डायरी तलब की है. यह मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हमला से जुड़ा हुआ है, जिसमें भैरव सिंह समेत कई लोगों को अभियुक्त बनाया गया है.
पुलिस ने निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल की
इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) से भैरव सिंह को बेल मिली थी. निचली अदालत में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. ट्रायल कोर्ट ने भैरव सिंह के ख़िलाफ आरोप गठन (चार्ज फ़्रेम) की प्रक्रिया भी पूरी कर ली है. आरोप गठन के ख़िलाफ भैरव सिंह ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. भैरव सिंह की तरफ से अधिवक्ता अविनाश, ऋषभ और अंकित ने पक्ष रखा.
ओरमांझी में सीएम के काफिले के पायलट गाड़ी को क्षतिग्रस्त किया था
उल्लेखनीय है कि तीन जनवरी, 2021 को ओरमांझी में युवती की सिर कटी लाश मिली थी. इस घटना से आक्रोशित लोगों ने चार जनवरी, 2021 की शाम को मुख्यमंत्री का काफिले को रोकने की कोशिश की. काफिले के आगे चलने वाली पायलट गाड़ी को रोक कर क्षतिग्रस्त कर दिया था. साथ ही रास्ता क्लीयर कराने की कोशिश कर रहे ट्रैफिक सिपाहियों और पुलिसकर्मियों के साथ उनकी झड़प भी हुई थी. इस झड़प में कई पुलिसकर्मियों की प्रदर्शनकारियों ने पिटाई कर दी थी.
टेरर फंडिंग के आरोपी की जमानत याचिका खारिज
झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायाधीश जस्टिस रंगोन मुखोपाध्याय और जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने मंगलवार को प्रेम विकास उर्फ मंटू सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के बाद खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी है.
हाई कोर्ट ने प्रेम विकास सिंह की जमानत अर्जी ठुकरायी
एनआईए और याचिकाकर्ता की दलील पूरी सुनने के बाद हाई कोर्ट ने प्रेम विकास सिंह की जमानत अर्जी ठुकराते हुए उसे जमानत देने से इनकार कर दिया है. प्रेम विकास सिंह की ओर से अधिवक्ता शदाब ने अदालत में पक्ष रखा.
प्रेम विकास ने एनआईए की विशेष अदालत में सरेंडर किया था
उल्लेखनीय है कि टेरर फंडिंग केस में आरोपी प्रेम विकास उर्फ मंटू सिंह ने 19 सितंबर को एनआईए की विशेष अदालत में सरेंडर किया था. यह मामला टंडवा थाना क्षेत्र के अंतर्गत सीसीएल के मगध और आम्रपाली परियोजना से जुड़ा है. मंटू सिंह पर आरोप है कि प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी नक्सलियों को लेवी वसूल कर देते थे.