रांची : झारखंड हाई कोर्ट में विधानसभा में नियुक्ति गड़बड़ी मामले में शिव शंकर शर्मा की जनहित याचिका की सुनवाई मंगलवार को हुई. मामले में हाई कोर्ट ने झारखंड विधानसभा एवं राज्य सरकार से जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट आने के बाद की गई कार्रवाई की फाइल प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. कोर्ट इन दोनों से जानना चाहती है कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट आने पर सरकार और विधानसभा ने आगे क्या प्रक्रिया अपनाई थी. मामले में कोर्ट ने राज्यपाल के प्रधान सचिव को प्रतिवादी बनाया है.
इससे पहले सरकार की ओर से कोर्ट में जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद एवं एसजे मुखोपाध्याय आयोग रिपोर्ट सीलबंद प्रस्तुत की गई. मामले में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट छह माह के भीतर विधानसभा के पटल पर नहीं रखी जा सकी थी, जिस कारण दूसरा आयोग बनाना पड़ा था. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 13 मई निर्धारित की है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को विधानसभा नियुक्ति से संबंधित जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट के साथ एसजे मुखोपाध्याय आयोग रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि मामले की जांच को लेकर पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमिशन बनी थी, जिसने मामले की जांच कर राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को एक्शन लेने का निर्देश दिया था लेकिन वर्ष 2021 के बाद से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.