रांची : मानसून सत्र के पांचवें दिन आज झारखंड विधानसभा में झारखंड प्रतियोगी परीक्षा भर्ती एवं अनुचित साधन रोकथाम विधेयक 2023 को सदन ने बहुमत से पारित कर दिया. सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधेयक के समर्थन में कहा कि पहले यहां की नौकरियों में 75 फीसदी सीटों पर बाहरी आ जाते थे, लेकिन अब यहां के युवाओं को इससे अधिक मौका मिलेगा. यह विधेयक केवल झारखंड ही नहीं, भाजपा शासित राज्यों में भी लाया गया है.
भाजपा विधायकों को दी नसीहत- प्रावधानों को भी पढ़ना चाहिये
सदन में विधेयक का विरोध कर रहे भाजपा के विधायकों को नसीहत देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्षी विधायकों को भी उन प्रावधानों को भी पढ़ना चाहिये. हमलोगों ने तो कड़ी सजा को बहुत कम किया है. राज्य में 20 सालों तक भाजपा का राज रहा. इन्होंने नौजवानों के साथ भविष्य के साथ खिलवाड़ किया. अब राज्य की नौकरियों में 20 फीसदी बाहरी ही घुस पा रहे.
जो भी कदाचार में शामिल होंगे, कार्रवाई होगी
इस विधेयक में सरकार ने ऐसा प्रावधान किया है कि परीक्षा संचालन में लगी एजेंसी, छात्र जो भी कदाचार में शामिल होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. एक परीक्षार्थी कदाचार करता है और उसका असर लाखों के भविष्य पर पड़ता है. झारखंड गठन के बाद पहली बार यहां के छात्रों के हित में इतना अहम विधेयक लाया गया है. इससे यहां के छात्रों के अधिकार का संरक्षण होगा.
विधायक विनोद सिंह ने की आपत्ति, प्रवर समिति में भेजें
विधायक विनोद सिंह ने प्रतियोगी परीक्षा विधेयक में करोड़ों रुपये तक के जुर्माने, कारावास, बगैर जांच के जेल भेजे जाने जैसे मसलों को लेकर आपत्ति रखी. इसे प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की. उन्होंने कहा कि इससे संबंधित प्रावधान को स्पष्ट करके देखें कि स्टूडेंट्स ही इससे सबसे अधिक प्रभावित होंगे.
नकल के मामले में संगठित अपराध और गिरोह
वास्तव में नकल के मामले में राज्य में संगठित अपराध और गिरोह काम कर रहा है. छात्र ही इसके शिकार होते हैं. उन पर निगरानी की बात हो. बिना जांच के गिरफ्तारी और आईओ को असीमित अधिकार देना गलत है. इस विधेयक के लिए नियमावली बनी नहीं है. इसमें कई कमियां हैं. वैसे नकल रोकने की सरकार की चिंता लाजिमी है पर मूल आशय कमजोर हो रहा है.
अनंत ओझा ने कहा- जल्दबाजी में लाया गया विधेयक
भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि यह जल्दबाजी में लाया गया विधेयक है. इसे काला कानून के रूप में इतिहास में जाना जायेगा. गड़बड़ी की सूचना देने वाले भी फंसेंगे. छात्र हित में इसे प्रवर समिति को भेजें. बहुमत से पास कराने की जिद सरकार ना करे.
लंबोदर महतो ने भी कहा- प्रवर समिति में भेजें
लंबोदर महतो ने भी झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक को समिति के पास भेजने की मांग रखी. उन्होंने कहा कि जब राज्य में परीक्षा संचालन अधिनियम 2001 लागू है, तो ऐसे विधेयक का मतलब क्या है. यह काला कानून है. तकरीबन 40 प्रतिशत छात्र ऐसे हैं जो गरीब वर्ग से हैं. गरीब छात्र- छात्रा नौकरी का सपना रखता है. जाने अनजाने या सरकारी अफसरों के षडयंत्र में अगर वह फंसा तो बर्बाद हो जायेग.
अमित मंडल ने कहा- यह ईस्ट इंडिया कंपनी के रौलेट एक्ट की तरह
अमित कुमार मंडल ने कहा कि यह काला कानून है. जेपीएसएसी, जेएसएससी के रिजल्ट के सवाल पर स्टूडेंट्स, मीडिया को जेल हो सकता है. यह ईस्ट इंडिया कंपनी के रौलेट एक्ट की तरह है. विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि अलग राज्य बनने के बाद से अब तक नियोजन को लेकर सवाल रहा है.
गलतियों को छिपाने के लिए विधेयक लाया गया
जेपीएससी, जेएसएससी अपनी गलतियों को छिपाने के लिए इस तरह के विधेयक को लाया गया है, जो स्टूडेंट्स एग्जाम, रिजल्ट की गलतियां निकाल कर लाएंगे, उन्हें डराने, धमकाने के लिए यह सब हो रहा है. स्टूडेंट्स बगैर किसी ट्रायल के जेल में डाल दिया जायेगा. ऐसा तो किसी अपराध में भी नहीं होता. यह स्टूडेंट्स के लिए सुसाइड का मामला है. इसे प्रवर समिति में दें.
नया विधेयक हड़बड़ी में लाया गया : नवीन जायसवाल
नवीन जायसवाल ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षा में अनुचित विधेयक 2001 पहले से राज्य में लागू है. अब 22 साल के बाद इसकी जगह नया विधेयक हड़बड़ी में लाया गया है. कई ऐसी धाराएं हैं जो इसे काला कानून बताता है. स्पीकर गार्जियन हैं. वे देखें कि इससे किसी स्टूडेंट्स का कैरियर दांव पर लग रहा है. प्रवर समिति में इसे भेजें.