Jharkhand Assembly

झारखंड विधानसभा : कृषि विभाग की 2804 करोड़ रुपये की अनुदान मांग ध्वनिमत से पारित

झारखण्ड राँची

रांची : झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे दिन मंगलवार को कृषि विभाग की अनुदान मांग पर चर्चा हुई. चर्चा के बाद कृषि, पशुपालन, सहकारिता विभाग के वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 2804 करोड़ रुपये की अनुदान मांग ध्वनिमत से पारित हुई.

विपक्ष का कटौती प्रस्ताव खारिज,

विपक्ष का कटौती प्रस्ताव खारिज हुआ. अनुदान मांग पर चर्चा का जवाब देते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य तो काम करने के लिए तैयार है, लेकिन केंद्र सरकार उनके हिसाब से काम नहीं करने पर राशि रोक देने की धमकी देती है. उन्होंने कहा कि कृषि बाजार समिति के मामले में भी ऐसा ही हुआ. पूर्व की सरकार के समय प्रधानमंत्री ने रघुवर दास को पत्र लिखकर कहा था कि आपको अमुक व्यवस्था के तहत काम करना है.

पत्रलेख ने कहा- केंद्रीय मंत्री कहते हैं कि फेडरल सिस्टम में सहयोग करें

अभी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पत्र लिखकर कहते हैं कि फेडरल सिस्टम में सहयोग करें नहीं तो केंद्रीय योजनाओं की राशि रोक दी जाएगी. उन्होंने कहा कि बाजार समिति शरीर में एक घाव की तरह है. हमारी सरकार इसका इलाज कर रही है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हमने शौक से बंद नहीं किया

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को हमने शौक से बंद नहीं किया था. समीक्षा में पाया कि इसमें जो राशि हम दे रहे हैं, उसमें 14 प्रतिशत राशि ही किसानों के खाते तक पहुंच रही थी, बाकी राशि बीमा कंपनी को जा रही थी. अब हमारी सरकार ने अपने स्तर से बीमा शुरू किया है और अबतक 10 लाख 56 हजार किसानों के खाते में 367 करोड़ रुपये गए हैं.

देश का दुर्भाग्य है सरकार मजदूरों का पैसा उद्योगपतियों को दे रही

उन्होंने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि आज की सरकार गरीब, किसानों, मजदूरों का बैंक में जमा पैसा उद्योगपतियों को दे रही है. देश में महंगाई की स्थिति यह है कि जो सामान छह हजार रुपये में खरीदते थे, अब वही सामान 12 हजार रुपये में मिल रहा है.

विपक्ष का आरोप 18 फीसदी राशि ही खर्च हुई, सच्चाई इसके विपरीत

बादल ने कहा कि विपक्ष का आरोप है कि कृषि विभाग में 18 फीसदी राशि ही खर्च हुई है, जबकि सच्चाई इसके विपरीत है. कृषि विभाग के सहकारिता क्षेत्र में 75 प्रतिशत, मत्स्य में 79 प्रतिशत, पशुपालन में 61 प्रतिशत, दुग्ध उत्पादन में 75 फीसदी राशि खर्च हो चुकी है.

दूध का उत्पादन भी बढ़ा

पूर्व की सरकार के समय दूध का उत्पादन प्रतिदिन 97 हजार लीटर था, जो आज बढ़कर एक लाख 45 हजार लीटर है. सरकार मवेशी पालन में सब्सिडी दे रही है. भाजपा के लोग गाय की बात कर राजनीति करते हैं, लेकिन हमारी सरकार गौ संवर्धन पर काम कर रही है. हमने गौ मुक्तिधाम शुरू किया. पायलट प्रोजेक्ट के तहत जोड़ा बैल योजना चल रही है.

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