रांची में जश्ने ईद मिलादुन्नबी पर निकला जुलूस-ए-मोहम्मदी, नारों से गूंज उठा शहर
रांची। 5 सितंबर : पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत की खुशी में शुक्रवार को रांची में ईद मिलादुन्नबी का त्योहार अकीदत और पूरे जोशो-खरोश के साथ मनाया गया। सुबह से ही शहर के विभिन्न इलाकों में धार्मिक रौनक नजर आई। अंजुमन इस्लामिया, मरकजी मिलादुन्नबी कमेटी और अन्य मजहबी तंजीमों की अगुवाई में भव्य जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया, जिसने शहर की फिजा को “नारे तकबीर”, “या रसूल अल्लाह” और “मरहबा या मुस्तफा” जैसे नारों से गूंजा दिया।
जुलूस की शुरुआत शहर के मेन रोड, डोरंडा, हिंदपीढ़ी, रातू रोड, बरियातू, कोकर, चुटिया और अन्य इलाकों से हुई, जो एक तय मार्ग से होते हुए विभिन्न चौक-चौराहों से गुजरा। रास्ते में जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए थे और लोगों ने फूल बरसाकर जुलूस का इस्तकबाल किया। जलपान, शरबत और ठंडे पानी की भी विशेष व्यवस्था की गई थी।
हर उम्र के लोगों ने इस जुलूस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बच्चों ने इस्लामी परिधान में नारे लगाए, वहीं नौजवान तंजीमों के झंडे लेकर आगे-आगे चलते रहे। धार्मिक नात-ए-पाक और तकरीरें माहौल को रूहानी बना रही थीं। कई स्थानों पर नबी-ए-करीम की सीरत पर आधारित झांकियां भी प्रस्तुत की गईं।
वक्ताओं ने कहा कि ईद मिलादुन्नबी सिर्फ जश्न मनाने का दिन नहीं, बल्कि यह पैगंबर की तालीम को अपनी जिंदगी में उतारने का पैगाम देता है। मोहब्बत, अमन, भाईचारा और इंसानियत की राह पर चलना ही सच्ची मिलाद है।
जुलूस के समापन पर दुआ और फातिहा ख्वानी की गई, जिसमें मुल्क की सलामती, कौमी एकता और अमन-चैन के लिए दुआ मांगी गई। अकीदतमंदों ने हाथ उठाकर दुआ की कि रांची समेत पूरे देश में मोहब्बत और सौहार्द कायम रहे।
पूरे कार्यक्रम को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। पुलिस बल लगातार निगरानी करता रहा, जिससे जुलूस शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल में सम्पन्न हुआ।
रांची में मनाया गया जश्ने ईद मिलादुन्नबी न सिर्फ एक मजहबी आयोजन था, बल्कि यह इंसानियत, एकता और मोहब्बत का बेहतरीन पैगाम भी साबित हुआ।
