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जगन्नाथपुर रथ मेला : रथ खींचने उमड़े श्रद्धालु, पारंपरिक खरीदारी और झूलों का लिया भरपूर आनंद

रांची । राजधानी रांची के जगन्नाथपुर में आयोजित ऐतिहासिक रथ मेले की शुरुआत श्रद्धा, उत्साह और परंपराओं के अद्भुत संगम के साथ हुई। मेले के पहले दिन भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़े। रथ खींचने के दौरान लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा गया और पूरे वातावरण में धार्मिक उल्लास व्याप्त रहा।

श्रद्धालुओं ने रथ खींचने से पहले मेले में जमकर खरीदारी की। पारंपरिक और घरेलू उपयोग की वस्तुओं के साथ-साथ मनोरंजन के लिए लगाए गए झूलों का लोगों ने खूब आनंद लिया। मेला परिसर में पारंपरिक हथियार जैसे तलवार, भाला, तीर-धनुष, घरेलू उपयोग की चीजें जैसे पईला, खुरपी, दाउली, तथा वाद्य यंत्र जैसे मांदर, ढोल, नगाड़ा, झंझरा, कुमनी की दुकानें लगी थीं। इसके अलावा सजावट और श्रृंगार सामग्री, खिलौने, पूजा की वस्तुएं और खाने-पीने के स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र रहे।

रंग-बिरंगे पक्षियों की बिक्री बनी आकर्षण का केंद्र
मेले में पक्षी प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। लव बर्ड की कीमत 1200 रुपये प्रति जोड़ा, तोते और जावा की भी कीमत 1200 रुपये प्रति जोड़ा बताई जा रही है। वहीं ललमुनिया की कीमत 400 रुपये प्रति जोड़ा और बजरी पक्षी 600 रुपये प्रति जोड़ा बिक रहा है।

मछली पकड़ने वाले जाल की भी खूब बिक्री
मेले में मछली पकड़ने वाले जाल भी बिक रहे हैं, जिनकी कीमत 800 से 1600 रुपये तक है। जाल विक्रेता परशुराम ने बताया कि पहले दिन बिक्री धीमी रही, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में बिक्री में इजाफा होगा।

समाजिक संगठनों ने लगाए स्वागत शिविर
मेले में श्रद्धालुओं की सेवा हेतु विभिन्न सामाजिक संगठनों ने स्वागत शिविर लगाए। शिवयोग सेवा केंद्र की ओर से श्रद्धालुओं के बीच मुफ्त फल और शर्बत वितरित किया गया, जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिविर में खिचड़ी का वितरण हुआ। दि होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (रांची इकाई) द्वारा निशुल्क दवा वितरण शिविर लगाया गया, जहां श्रद्धालुओं की तकलीफ पूछकर उन्हें दवा दी गई।

‘मौत का कुआं’ और झूलों का रोमांच
मेले में सबसे अधिक भीड़ ‘मौत का कुआं’ देखने वालों की रही, जिसमें “जलपरी शो” के नाम से टिकटों की बिक्री प्रति व्यक्ति 50 रुपये में की जा रही थी। बच्चों, युवाओं और महिलाओं में झूलों को लेकर खासा उत्साह रहा। ब्रेक डांस, बड़ा झूला और अन्य आधुनिक झूलों पर लंबी कतारें देखने को मिलीं।

जगन्नाथपुर रथ मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनकर उभरा है, बल्कि यह झारखंड की पारंपरिक संस्कृति, हस्तशिल्प और सामाजिक सौहार्द का भी एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करता है। आने वाले दिनों में मेले में और अधिक भीड़ और उत्सव का माहौल देखने को मिलेगा।

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