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भारतीय सेना ने जारी की एडवाइजरी, सैन्यकर्मी चीनी मोबाइल फोन इस्तेमाल न करें  

राष्ट्रीय

भारतीय सेना ने देश भर में तैनात सैन्य कर्मियों के चाइनीज फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. नयी दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय के सैन्य खुफिया अधिकारियों ने देश भर में तैनात सैनिकों को चीनी मोबाइल फोन के 11 ब्रांड का उपयोग करने से परहेज करने की सलाह जारी की है.

इस्तेमाल से खतरों के बारे में जागरूक करने के निर्देश

मिलिट्री इंटेलिजेंस के महानिदेशक ने एडवाइजरी में फॉर्मेशन और यूनिट कमांडरों को चीनी मोबाइल फोन के इस्तेमाल से होने वाले खतरों के बारे में सैनिकों को जागरूक करने के निर्देश दिए हैं. सेना मुख्यालय की ओर से जारी एडवाइजरी में सैनिकों और उनके परिवारों को दुश्मन देश की कंपनियों के मोबाइल फोन खरीदने या इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी है.

इन कंपनी के फोन 30 मार्च तक बदल लें

इस सूची में चीनी कंपनी वीवो, ओप्पो, ऑनर, श्याओमी, वन प्लस, रियल मी, जेडटीई, मीजू, जियोनी, इनफिनिक्स और आसुस के मोबाइल फोन शामिल हैं. सलाह में यह भी कहा गया है कि जिन जवानों के पास उक्त कंपनियों के मोबाइल फोन हैं, वे 30 मार्च तक अवश्य बदल लें.

30 मार्च तक पूर्णता रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश

सैन्य खुफिया अधिकारियों ने फॉर्मेशन और यूनिट कमांडरों को जागरूक करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही इस संबंध में 30 मार्च तक पूर्णता रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है. अधिकारियों का कहना है कि अतीत में राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए चीनी फोन का उपयोग नहीं करने के लिए एहतियाती कदम उठाना सेना का आंतरिक मामला है.

रूस- यूक्रेन युद्ध से ली सीख

दरअसल, यूक्रेन के साथ युद्ध में कई रूसी सैनिक डोनबास क्षेत्र में सेलुलर नेटवर्क का उपयोग कर रहे थे और यूक्रेनियन के पास उनके डेटा तक पहुंच थी. इसी वजह से कई रूसी कमांडर और सैनिक यूक्रेन के सीधे निशाने पर लक्षित थे.

सूचना लीक होने से सैनिकों को प्रभावित किया जा सकता है

तकनीकी रूप से उन्नत इस युग में आसानी से सूचना लीक होने के चलते सैनिकों को प्रभावित किया जा सकता है. इसीलिए सिर्फ चीनी फोन पर प्रतिबंध लगाना सुरक्षा उपाय नहीं हो सकता, क्योंकि चीनी मूल के मैसेजिंग ऐप भी खतरनाक हैं.

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