रांची : विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने आज 10 जनवरी अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस के अवसर पर कहा है कि भारत में कई राज भाषाओं और लिपियों से समृद्ध देश है. यहां कई सारी भाषाएं बोली जाती हैं. देश के आधे से भी अधिक भाग को हिंदी भाषा ही जोड़ती है, भले ही अंग्रेजी का प्रचलन कुछ बढ़ रहा है.
भारतीयों को एक सूत्र में बांधने के लिए है अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस
लेकिन हिंदी अधिकतर भारतीयों का मातृभाषा है. भारत में हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला है, लेकिन राजभाषा के तौर पर हिंदी का खास पहचान है, हिंदी हिंदुस्तान की पहचान एवं गौरव है, हिंदी को लेकर दुनिया भर के तमाम विदेशों में बसे भारतीयों को एक सूत्र में बांधने के लिए अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है,सामाजिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की प्राणवायु भाषा ही होती है.
भाषा चेतना एवं भावनाओं की अभिव्यक्ति का भी माध्यम
भाषा मात्र विमर्श का माध्यम नहीं होकर चेतना एवं भावनाओं के अभिव्यक्ति का माध्यम भी होता है, हिंदी का प्रयोग देशभर में किया जाता है. अधिकांश क्षेत्रीय भाषाओं में आगे का मुंह और पीछे का पूंछ अलग- अलग होते हुए भी शब्द संस्कृत/हिंदी के ही प्रयुक्त होते हैं. क्षेत्रीय भाषाओं का प्राणतत्व हिंदी के ही शब्द है, ठीक इसी प्रकार अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की यही कहानी है.
दक्षिण भारत में संस्कृति और सामाजिक ताना-बाना समृद्ध
दक्षिण भारत में तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ भाषा का व्यवहार है और वहां की संस्कृति और सामाजिक ताना-बाना समृद्ध भी है. वहां के लोग भी अंग्रेजी बोलते हैं, परंतु उनकी अपनी भाषा उनके लिए गर्व का विषय है. आज भी ऑफिस में अंग्रेजी का उपयोग करने वाले कम ही लोग हैं जबकि उनके अपने घर में भी हिंदी का ही प्रयोग होता है.
बच्चों की पढ़ाई- लिखाई में उनकी हिंदी कमजोर
अंग्रेजी मीडियम में पढ़नेवाले विद्यार्थी भी अपने- अपने घरों में हिंदी का ही प्रयोग करते हैं, परंतु पढ़ाई लिखाई में उनकी हिंदी कमजोर दिखाई दे रही है, तो इसका मूल कारण उनके गार्जियन की अज्ञानता और मूढता ही है. पढ़ाइए किसी भी भाषा में, लेकिन अपने बच्चों को हिंदी के प्रति गर्व होने का संस्कार निश्चित ही डालिए.