हाई कोर्ट ने देवघर एम्स से जुड़े मामले में राज्य सरकार को दिया 10 दिनों का समय

राँची

रांची : झारखंड हाई कोर्ट में देवघर, एम्स में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर सांसद निशिकांत दुबे की जनहित याचिका की सुनवाई शुक्रवार को हुई. याचिका में उठाए गए बिंदुओं पर ऊर्जा विभाग एवं पेयजल स्वच्छता विभाग का ही जवाब आ सका, जिस पर चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार को सभी विभागों को जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिनों का समय दिया.

देवघर एम्स के लिए पुनासी डैम से जोड़कर पानी की व्यवस्था की जाए

सांसद निशिकांत ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी के जवाब पर अपना शपथ पत्र दाखिल किया था. इसमें सांसद की ओर से देवघर एम्स में सुविधा को लेकर कई बिंदु उठाए गए थे. कहा गया था कि चीफ सेक्रेटरी ने देवघर एम्स के पावर सबस्टेशन के लिए 64 करोड़ रुपये की लागत आने की बात कही है, जिसके लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी बताया है. सांसद का कहना है कि विगत एक माह में दो-तीन बार कैबिनेट की बैठक हुई हैं लेकिन देवघर एम्स के लिए सरकार 64 करोड़ रुपये स्वीकृत करने पर दिलचस्पी नहीं दिख रही है. देवघर एम्स को पानी देने के सवाल पर कहा गया कि देवीपुर मल्टी विलेज स्कीम के तहत पंचायतों को मात्र दो-तीन दिन ही पानी मिलता है. ऐसे में देवघर एम्स के लिए पुनासी डैम से जोड़कर पानी की व्यवस्था की जाए.

चीफ सेक्रेटरी ने अपने जवाब में बताया था कि देवघर एम्स में फायर फाइटिंग के लिए एक अग्निशमन वाहन उपलब्ध करा दिया गया है, जिसके जवाब में याचिकाकर्ता निशिकांत दुबे की ओर से कहा गया है कि यह अग्निशमन वाहन मात्र चार-पांच तल्ला में आग बुझाने में सक्षम है, जबकि देवघर एम्स 24 मंजिला है, ऐसे में इस अग्निशमन वाहन से काम नहीं होगा.

देवघर एम्स को 237 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी

देवघर एम्स के लिए 20 एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं होने के मामले में चीफ सेक्रेटरी ने बताया कि इस संदर्भ में जमीन अधिग्रहण के लिए प्रयास किया गया है, जिसमें सांसद का कहना है कि देवघर एम्स को 237 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन अब तक उसे मात्र 217 एकड़ जमीन ही मिली है. शेष 20 एकड़ जमीन दिलाने के लिए राज्य सरकार को समय सीमा निर्धारित करनी चाहिए.

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