रांची

HEC कर्मियों ने किया अर्धनग्न प्रदर्शन, CISF से धक्का-मुक्की के बाद सड़क पर की नारेबाजी

रांची | 21 जुलाई 2025 : एचईसी सप्लाई मजदूर संघर्ष समिति के सदस्यों ने सोमवार को अपनी मांगों को लेकर अर्धनग्न प्रदर्शन किया। वे एचईसी नेहरू पार्क से लेकर एचईसी मुख्यालय तक रैली निकालते हुए सरकार और प्रबंधन के खिलाफ आवाज उठाते नजर आए।


⚠️ प्रदर्शन का घटनाक्रम

  • रैली प्रारंभ: सैकड़ों कर्मचारियों ने हाफ पैंट व बनियान पहनकर विरोध जताया।
  • मुख्यालय गेट पर CISF का रुख कड़ा: जैसे ही रैली गेट तक पहुँची, CISF जवानों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिससे हल्की-फुल्की धक्का-मुक्की हुई।
  • भारी विरोध: प्रदर्शनकारी गुस्से में सड़क पर बैठ गए और जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी।

💬 कर्मचारी क्या मांग रहे हैं?

🗣️ 1. दिलीप सिंह (समिति के प्रमुख):

  • कहा कि 30–40 वर्षों से काम कर रहे विस्थापित व आश्रित कर्मियों को अभी तक स्थायी नहीं किया गया।
  • आरोप लगाया कि सप्लाई कर्मचारियों की सूची से उन्हें हटाने की साजिश हो रही है।

🗣️ 2. मनोज पाठक:

  • BHEL प्रबंधन को श्रमिक विरोधी बताया।
  • मांग की कि पहले दी गई सुविधाएं तुरंत वापिस दी जाएं।

🗣️ 3. रनथू लोहरा:

  • शिकायत की कि पूर्व प्रबंधन की तुलना में BHEL प्रशासन श्रमिक समस्याओं को नजरअंदाज कर रहा है।

🗣️ 4. रोहित पांडेय (छात्र प्रतिनिधि):

  • चेतावनी देते हुए कहा कि छात्र संगठन भी मजदूरों के समर्थन में सड़क पर उतर सकता है।

🗣️ 5. वाई त्रिपाठी:

  • मांग की कि 2010 की त्रिपक्षीय समझौता लागू किया जाए, अन्यथा भविष्य में सप्लाई श्रमिकों की मान्यता भी खतरे में हो सकती है।

🗣️ 6. शारदा देवी (महिला प्रतिनिधि):

  • आरोप लगाया कि निर्देशक (कार्मिक) मनोज लकड़ा स्थानीय कर्मियों का शोषण कर रहे हैं।
  • कहा: “21 दिन से भूखे-प्यासे सड़कों पर बैठे कर्मी हैं, लेकिन अब तक कोई संवाद नहीं हुआ।

👥 साथ में मौजूद अन्य नेता

उवैस आज़ाद, प्रेमनाथ शाहदेव, मोईन अंसारी, सुनील कुमार, विकास शाहदेव, प्रमोद कुमार, विजय साहू, राजेश शर्मा, दीपक लोहरा, हरेराम चौधरी सहित कई अन्य कार्यकर्ता सभा में शामिल हुए।


🔚 अगले कदम: क्या होगा आगे?

यह प्रदर्शन संतोषजनक समाधान नहीं मिलने तक जारी रहने का संकेत देता है। समिति इस असंतोष को तेज बनाए रखने का इरादा रख रही है।
आगे की स्थिति के लिए:

  • प्रशासन का रवैया,
  • CISF–प्रबंधन वार्ता,
  • और संभावित छात्र–मजदूर महापंचायत जैसे विकल्प अहम होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *