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राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर ‘अपना घर’ दिव्यांग आश्रम में स्वास्थ्य जांच शिविर, डॉ. एच. पी. नारायण ने की नि:शुल्क सेवा

रांची : राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट द्वारा संचालित पुंदाग स्थित ‘अपना घर’ दिव्यांग आश्रम में विशेष स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध न्यूरो सर्जन डॉ. एच. पी. नारायण ने आश्रम में रह रहे मंदबुद्धि, दिव्यांग और निराश्रित प्रभुजनों सहित उनकी सेवा में लगे सेवादारों का नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण किया। उन्होंने सभी जरूरतमंदों को अपनी ओर से आवश्यक दवाएं भी नि:शुल्क प्रदान कीं।

कार्यक्रम में ट्रस्ट के अध्यक्ष डूंगरमल अग्रवाल ने डॉ. नारायण को पुष्प गुच्छ और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर डॉ. नारायण ने कहा कि 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत रत्न से सम्मानित महान चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र रॉय की जयंती और पुण्यतिथि दोनों के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। वे न केवल प्रख्यात डॉक्टर थे, बल्कि पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में भी उन्होंने सेवा की। डॉ. नारायण ने ट्रस्ट द्वारा संचालित कार्यों की सराहना करते हुए कहा, “नर सेवा ही नारायण सेवा है।”

ट्रस्ट के उपाध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि डॉक्टर दिवस यह सोचने का अवसर देता है कि चिकित्सा केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक सेवा और तपस्या है। डॉक्टर केवल बीमारियों के समय नहीं, बल्कि हर दिन हमारे समाज के लिए योगदान देते हैं। एक सच्चा डॉक्टर वह होता है जो विज्ञान के साथ संवेदना से भी जीवन को छूता है।

प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने डॉक्टरों को धरती पर ईश्वर का रूप बताते हुए कहा कि वे संकट की घड़ी में आशा की किरण बनकर सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर केवल रोग नहीं, बल्कि मानवता की रक्षा करते हैं। उन्होंने सभी चिकित्सकों को उनके निःस्वार्थ सेवा के लिए धन्यवाद देते हुए उन्हें जीवन के सच्चे नायक बताया।

उन्होंने यह भी बताया कि ‘अपना घर’ आश्रम झारखंड का पहला ऐसा दिव्यांग सेवा आश्रम है, जो गुरुजी स्वामी सदानंद जी महाराज के सान्निध्य में पीड़ित मानव सेवा का तीर्थ स्थल बना है। वर्तमान में यहां 37 मंदबुद्धि दिव्यांग निराश्रित प्रभुजनों की सेवा की जा रही है। साथ ही, प्रत्येक माह डॉ. एच. पी. नारायण द्वारा नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच की जाती है।

यह आयोजन न केवल चिकित्सा पेशे को सम्मान देने का माध्यम बना, बल्कि समाज में सेवा और करुणा की मिसाल भी प्रस्तुत की।

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