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महाधर्माध्यक्ष बिशप विंसेंट आइन्द का भव्य प्रतिष्ठापन समारोह संपन्न

राँची

रांची : आज रांची महाधर्मप्रांत के नए महाधर्माध्यक्ष बिशप विंसेंट आइन्द का भव्य  प्रतिष्ठापन समारोह सफलता पूर्वक रांची के लोयोला ग्राउंड में संपन्न हुआ. रांची महाधर्मप्रांत के पूर्व महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो एस जे ने इस समारोह की अगुवाई कर बिशप विंसेंट आइन्द को रांची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष के रूप प्रतिष्ठापित किया .  30 दिसंबर 2023 शाम 4:30 बजे आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो एस जे ने आर्चबिशप हाऊस में रांची के सभी पल्ली पुरोहितों, एवं मेजर सुपीरियर के सम्मुख रांची के नए आर्चबिशप विंसेंट आइंद का नाम घोषित किया था. और आज उन्होंने बिशप विंसेंट आइन्द को आज के समारोह में औपचारिक तौर से रांची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष के रूप में प्रतिष्ठापित कर रांची की कलीसिया की पूर्ण जिम्मेदारी सौंपी.

पवित्र अनुष्ठान की शुरुआत रांची के पूर्व आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो एस जे ने

पवित्र अनुष्ठान की शुरुआत रांची के पूर्व आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो एस जे ने की तत्पश्चात उन्होंने बिशप विंसेंट आइन्द रांची महाधर्मप्रांत के सिंहासन पर प्रतीकात्मक रूप बैठा कर एवं मेषपालीय दंड सौंप कर रांची महाधर्मप्रांत की संपूर्ण कलीसिया की जिम्मेदारी सौंपी. प्रतिष्ठापन यह भाग संपन्न होने के पश्चात प्रतिष्ठित आर्चबिशप विंसेंट आइन्द ने पवित्र मिस्सा अनुष्ठान की अगवाई की.

आर्चबिशप विंसेंट आइन्द ने अपने धर्मोपदेश में कहा कि:  पिता ईश्वर की इच्छा पूरा करने से हम प्रभु के करीबी रिश्तेदार बन जाते हैं. साथ ही संत जोसफ के समान नम्र, पवित्र आत्मा के प्रति वचनबद्ध, शुद्ध, निर्मल बनने का आह्वान किया . समारोह के अंत में पूर्व महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो एस जे ने अपने कार्यकाल के दौरान प्राप्त सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और संतुष्टि से विदा लेते हुए आर्चबिशप विंसेंट आइंद को बधाईयां एवं शुभकामनाएं दीं. आर्चबिशप विंसेंट आइंद ने अपने दिल के उदगार प्रकट करते हुए सभी का धन्यवाद किया और अपने मिशन कार्य में सभी से सहयोग का आह्वान किया.

इस समारोह के अवसर पर भारत और नेपाल के लिए संत पिता के प्रतिनिधि नुनसियो लियोपोल्दो जिरेल्ली, रांची महा धर्मप्रांत के पूर्व महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो एस जे, झारखंड एवं भारत के विभिन्न धर्मप्रांत के 35 आर्चबिशप और बिशप, 300 से अधिक पुरोहितगण, हजारों संख्या में धर्मसंघ तथा धर्मबहनें, साथ ही  सुबोध कांत सहाय , बन्धु तिर्की , श्रीमति  नेहा शिल्पी तिर्की एवं आठ हज़ार से अधिक विश्वासी शामिल हुए.

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