रांची : फेडरेशन चैंबर ने कृषि विपणन विधेयक को किसान, व्यापार और उपभोक्ता विरोधी बताते हुए विधेयक के खिलाफ आवाज उठायी है. आज चैंबर भवन में विरोध स्वरूप काला झंडा लगाते हुए प्रेस वार्ता में कहा गया कि कृषि विधेयक काला कानून है.
चैंबर ने सरकार एवं पार्टियों से मिलकर विरोध जताया था
चैंबर ने सरकार एवं पार्टियों से मिलकर विधेयक का विरोध जताया था, लेकिन हमारी नहीं सुनी गयी. पड़ोसी राज्य बिहार में कृषि टैक्स नहीं है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे दो सप्ताह पहले ही हटा दिया है. ऐसे में गैर कृषि उत्पादक राज्य की श्रेणी में आने वाले झारखंड में इसे लागू करना गलत है.
8 फरवरी को राज्य स्तरीय बैठक
चैंबर महासचिव अभिषेक रामाधीन ने बताया कि 8 फरवरी को राज्य स्तरीय बैठक होगी. उस दिन अनाज कारोबारी व्यापार बंद कर बैठक में शामिल होंगे और आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी. यह विधेयक किसान और उपभोक्ता दोहन विधेयक है.
झारखंड में ऐसा कोई बड़ा उत्पाद नहीं, कि बोली लगे
किसान उत्पादों को बाजार समितियों में लाते हैं वहां बोली लगाकर माल बेचा जाता है, लेकिन झारखंड में ऐसा कोई बड़ा उत्पाद नहीं है कि बाजार समितियों में आकर बोली लगाए. हमारा विरोध विधेयक से नहीं बल्कि शुल्क से है. सुविधा दी ही नहीं तो शुल्क क्यों.
झारखंड में असंगठित कृषि बाजार
झारखंड में असंगठित कृषि बाजार है जो किसी भी स्थिति में विपणन व्यवस्था में शामिल नहीं होते. साल 2015 में तत्कालीन सरकार ने इसे शून्य किया था. अब फिर अधिभार के रूप में लाया जा रहा है. इसके लिए जोरदार आंदोलन किया जाएगा. प्रेस वार्ता में अमित शर्मा, रोहित पोद्दार, शैलेश अग्रवाल, संजय मोहरी, विवेक अग्रवाल, प्रवीन जैन छाबड़ा आदि उपस्थित थे.