शिक्षण संस्थानों को तम्बाकू मुक्त बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने कसी कमर

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विद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों के 100 गज के दायरे में तम्बाकू उत्पाद बेचने पर देना होगा जुर्माना

रांची : स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह की अध्यक्षता में राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को तम्बाकू मुक्त बनाने एवं तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान के दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखण्ड सरकार एवं सोशियो इकोनॉमिक एण्ड एजुकेशनल डेवलॉपमेंट सोसाईटी (सीड्स) के संयुक्त तत्वावधान में सभी जिलों के शिक्षा विभाग के नोडल पदाधिकारियों एवं अन्य संबंधित पदाधिकारियों

तम्बाकू मुक्त युवा आभियान 2.0 की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी.

बैठक के दौरान राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन ने कहा कि हम सब की जिम्मेदारी है कि अपने आने वाले भविष्य की चिंता करते हुए युवाओं और अवयस्कों को तम्बाकू की लत से दूर रखा जाये. उन्होंने बताया कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मार्गदर्शन में सोसिओ इकोनॉमिक एण्ड एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसायटी झारखण्ड द्वारा “तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान के दिशा-निर्देशों के अनुरूप क्रियान्वयन के लिए सकारात्मक प्रयास किये जा रहे हैं.

प्रशासी पदाधिकारी, झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद सचिदानंद द्विवेंदु तिग्गा ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि तम्बाकू सेवन की आदत जनस्वास्थ्य के लिए एक बड़ी समस्या के रूप में वैश्विक स्तर पर उभर रहा है. इसलिए तंबाकू सेवन के दुष्परिणाम के प्रति अवयस्क और युवा वर्ग में जागरुकता फैलाना बहुत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि झारखण्ड के सहयोग से स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को तम्बाकू मुक्त शिक्षण संस्थान के रूप में विकसित किया जाएगा.

सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा ने तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम की आवश्यकता के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की. उन्होने बताया कि तम्बाकू का उपयोग पूरी दुनियाँ के लिए चिंता का विषय बना हुआ है लेकिन इसका कारोबार और उपयोग विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में ज्यादा तेजी से बढ रहा है. तम्बाकू उत्पाद से बच्चे, अवस्क एवं युवा वर्ग के लोगों को बचाये जाने की आवश्यकता है. ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (2019) द्वारा सम्पूर्ण विश्व में युवाओं द्वारा तम्बाकू सेवन से संबंधित जो आकडें संकलित किये गये हैं वह यह दर्शाता है कि भारत में 13-15 वर्ष के 8.5 प्रतिशत नाबालिग बच्चे किसी न किसी प्रकार के तम्बाकू का उपयोग कर रहे हैं, वहीं झारखण्ड मे यह 5.1 प्रतिशत है, जो चिंता का विषय है.

दीपक मिश्रा ने बताया कि पिछले 8-9 वर्षों से झारखण्ड सरकार और सीड्स ने मिलकर राज्य एवं जिला स्तर पर तम्बाकू सेवन को नियंत्रित करने के लिए काफी प्रभावी कदम उठाये हैं. उन प्रयासों का प्रतिफल गेट्स 2 के रिपोर्ट में देखने को मिला था, जिसके मुताबिक हमारे राज्य में तम्बाकू सेवन करने वालों का प्रतिशत 50.1 से घट कर 38.9 पर आ गया था लेकिन हम अभी भी राष्ट्रीय औसत (28.6%) से काफी ऊपर हैं.

दीपक मिश्रा ने कहा कि तम्बाकू सेवन से हर साल देश में लगभग 13 लाख लोगों की मौत हो रही है. तम्बाकू सेवन से खास तौर पर बच्चों, अवयस्कों एवं युवा वर्ग के लोगों को बचाये जाने की आवश्यकता है. उन्होने कहा प्रायः ऐसा देखा जाता है कि राज्य के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के आस-पास तम्बाकू उत्पाद जैसे कि सिगरेट, बीडी़ पान मसाला, जर्दा एवं खैनी इत्यादि की बिक्री की जाती है. इससे कम आयु के युवाओं एवं छात्रों में धूम्रपान एवं तम्बाकू सेवन की व्यसन को बढ़ावा मिलता है. अवयस्क और युवा वर्ग तम्बाकू पर आधारित व्यापार एवं उद्योगों के निशाने पर होते हैं, यह हमारे लिए एक गंभीर समस्या है.

कार्यशाला में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह, राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन, सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा, राज्य शिक्षा परियोजना के प्रशासी पदाधिकारी सचिदानंद द्विवेंदु तिग्गा, अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी सह राज्य नोडल पदाधिकारी अभिषेक झा समेत सभी जिलों के शिक्षा विभाग के नोडल पदाधिकारी शामिल हुए.

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