रांची : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार काे संथाल परगना में आदिवासियों की घटती आबादी के जांच के संदर्भ में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है कि संताल परगना में आदिवासी आबादी पर संकट है. राज्य के संस्कृति और सभ्यता पर भी खतरा है. ऐसे में यहां रहने वाले आदिवासियों के लिए भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है, जिसकी पहचान यहां के आदिवासी समाज की पहचान का एक हिस्सा रही है लेकिन हाल के दशकों में इस क्षेत्र में संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
बाबूलाल ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि इस विषय को संज्ञान में लेते हुए एसआईटी का गठन कर जांच कराने की अनुशंसा करें, जिससे आदिवासी समाज की घटती आबाद के पीछे का रहस्य उजागर हो सके. बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के अवैध प्रवास के कारण यहां का समाज अपने अस्तित्व और संसाधन बचाने में लगा है. घुसपैठिए तेजी से यहां बस रहे हैं और आदिवासी समाज की जल, जंगल व जमीन को खतरा पहुंचा रहे हैं. साथ ही अपने आपराधिक कृत्यों से माताओं, बहनों और बच्चों को प्रताड़ित कर रहे हैं. यहां तक कि बंग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा आदिवासी समाज की बहनों को लोभ-लालच एवं डरा-धमका कर जबरन शादी कर इनकी जमीन को कब्जा कर रहे हैं.
बाबूलाल ने आंकड़ा पेश करते हुए लिखा है कि वर्ष 1951 में संथाल परगना में आदिवासियों की संख्या जहां 44.67 प्रतिशत थी, वहीं आज यह घटकर मात्र 28.11 प्रतिशत ही बची है. ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब संथाल परगना में संथाल ही अल्पसंख्यक हो जायेंगे तथा आदिवासियों के नाम से जाना जाने वाला यह संथाल परगना अपनी पहचान खो देगा. अनुमानित आंकड़ों के आधार पर स्पष्ट रूप से संथाल परगना में यह बात परिलक्षित होती है कि वर्ष 2021 जनगणना में आदिवासी समुदाय और मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या में ज्यादा अंतर नहीं रहने की संभावना है या ये भी कह सकते हैं कि वर्ष 2021 जनगणना में ही आदिवासी समुदाय और मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या लगभग बराबर हो गई है. इस बात का अंदेशा पूर्व से ही लगाया जा रहा है और वह सच साबित होता दिख रहा है.