Corona Virus

Corona Virus : कोरोना वायरस का सच आएगा सामने, डब्ल्यूएचओ ने शोध को स्वीकारा

विदेश

Corona Virus : देश के जिन दो वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति के लिए पड़ोसी देश चीन को जिम्मेदार ठहराया था, उनके शोध को आखिरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने स्वीकार कर लिया है. डब्ल्यूएचओ की इस पहल के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच का रास्ता साफ हो जाएगा.

पुणे के वैज्ञानिक युगल ने किया था दावा- वुहान लैब से निकला था वायरस

पुणे के वैज्ञानिक युगल मोनाली रहाल्कर और राहुल बहुलीकर ने अपने शोध में दावा किया था कि दुनिया में लाखों लोगों की जान लेने और करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी निगलने वाला कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से निकला था. अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश भी इस वायरस के लिए चीन पर अंगुली उठाते रहे, लेकिन ऐसे कोई डेटा या सबूत नहीं मिले, जिससे ये स्पष्ट हो सके कि चीन ही इस अंतरराष्ट्रीय त्रासदी का संवाहक बना.

मोजियांग में चमगादड़ों के बसेरा साफ करने में मरे थे तीन मजदूर

रहाल्कर और बहुलीकर ने बताया कि वर्ष 2012 में मोजियांग स्थित माइनशाफ्ट में चमगादड़ों का बसेरा था. उसकी सफाई के लिए 6 से 7 मजदूर लगाए गए. इस दौरान मजदूर न्यूमोनिया जैसी किसी बीमारी का शिकार बन गए, जिसमें तीन मजदूरों की मौत हो गयी.

मजदूरों में कोरोना लक्षण थे, वैज्ञानिकों ने वायरस के जीनोम में बदलाव कर दिया

Corona Virus : इन सबमें वही लक्षण मिले, जो आमतौर पर कोरोना के मरीजों में सामने आते हैं. डॉ. राहलकर ने बताया कि वुहान लैब में मजदूरों की मौत के कारणों की जांच के दौरान चीन के कुछ वैज्ञानिकों ने इस वायरस के जीनोम में बदलाव कर दिए. इसी प्रक्रिया के दौरान कोरोना वायरस की उत्पत्ति हुई. उन्होंने दावा किया कि अप्रैल 2020 में शुरू किये गए रिसर्च में पाया कि कोरोना वायरस सार्स कोव-2 को वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने ही उस खदान से एकत्र किया था.

रिसर्च के लिए बनी स्पेशल टीम

बहुलीकर ने बताया कि कोराना वायरस कहां से आया, इसको लेकर पिछले साल मार्च में दुनियाभर के कई वैज्ञानिकों और रिसर्च करने वालों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक टीम तैयार की. टीम के कई लोगों ने सुरक्षा कारणों से अपने नाम नहीं बताए. पुणे के वैज्ञानिक दम्पति भी इसके सदस्य बने. टीम में तीसरे भारतीय रिसर्चर भी थे, जिन्होंने अपना नाम उजागर नहीं किया. इस टीम ने चीन समेत दुनिया भर के डेटा और रिसर्च का अध्ययन किया.

डब्ल्यूएचओ ने माना तो दुनिया भी मानेगी

Corona Virus : वैज्ञानिक दम्पति ने कहा कि एक साल बाद ही सही, लेकिन हमारे शोध को डब्ल्यूएचओ ने स्वीकार किया. यहां से आगे के रास्ते खुलेंगे. दुनियाभर के कई देशों ने कोरोना वायरस पर काम किया. उन सबके शोध और परिणाम एक मंच पर आएंगे तो इस संक्रमित बीमारी का बड़ा सच तो सामने आ पाएगा.

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