श्री कृष्ण बीतक कथा के दूसरे दिन भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्म का संगम
रांची, 28 जुलाई : श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के तत्वावधान में संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के सानिध्य में रांची के पुंदाग स्थित श्री राधा कृष्ण प्रणामी मंदिर में आयोजित पांच दिवसीय संगीतमय श्री कृष्ण बीतक कथा के दूसरे दिन का आयोजन रविवार को भक्तिभाव और श्रद्धा के वातावरण में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध कथा वाचिकाएं विदुषी साध्वी मीणा महाराज और विदुषी पूर्णा महाराज ने भक्तों को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। दिन की कथा की शुरुआत निजानंद संप्रदाय के महान संस्थापक स्वामी श्री देवचन्द्रजी महाराज के पावन जन्मोत्सव की मंगलमयी कथा से हुई।
साध्वी मीणा महाराज ने स्वामी देवचन्द्रजी के जीवन, तपस्या और आध्यात्मिक उपलब्धियों का वर्णन करते हुए बताया कि उन्होंने किस प्रकार सत्य, भक्ति और प्रेम के मार्ग पर मानवता को अग्रसर किया। उनके अनुसार स्वामी जी ने सांसारिक बंधनों से ऊपर उठकर अपना जीवन प्रभु आराधना को समर्पित कर दिया, और समाज को आत्मज्ञान व शुद्ध आचरण की प्रेरणा दी।
इसके उपरांत साध्वी पूर्णा महाराज ने श्रीकृष्ण के ब्रज दर्शन प्रसंग को अत्यंत भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया। उन्होंने गोपियों का प्रेम, यशोदा माता की ममता और नंद बाबा के वात्सल्य का जीवंत चित्रण किया, जिससे श्रोतागण आत्मविभोर हो उठे। कथा का यह प्रसंग आत्मा और परमात्मा के मिलन की अनुभूति का प्रतीक बना।
कार्यक्रम में सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे। मंदिर परिसर भजन, कीर्तन और सत्संग से गूंज उठा। कथा के अंत में सामूहिक आरती और प्रसाद स्वरूप चना-घुघरी का वितरण किया गया।
श्रद्धालुओं ने इसे एक धार्मिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण का माध्यम बताया।
ट्रस्ट के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने बताया कि तीसरे दिन की कथा में और भी गूढ़ आध्यात्मिक प्रसंगों की प्रस्तुति की जाएगी। उन्होंने अधिक से अधिक श्रद्धालुओं से सहभागिता की अपील की।
इस अवसर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष डूंगरमल अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, सचिव मनोज चौधरी, कोषाध्यक्ष सज्जन पाड़िया, पूरणमल सर्राफ, विशाल जालान, विष्णु सोनी, पवन पोद्दार, विद्या देवी अग्रवाल, विमला जालान, शोभा जालान, सरिता अग्रवाल, सुनीता अग्रवाल, उर्मिला पाड़िया, निकिता जालान, उमा नारसरिया, अनीता जालान, सुलोचना देवी चौधरी समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
