रांची : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने आज कहा कि आदिवासी इंस्पेक्टर उमेश कच्छप ने धनबाद के तोपचांची थाने में खुदकुशी कर ली थी. मौत के पहले अपनी पत्नी से बातचीत में उमेश कच्छप ने वरीय अफसरों का नाम लेकर बताया था कि कैसे उनके जैसे ईमानदार और सीधे सादे अफसर को एक चालक पर फर्जी केस कर रंगदारी वसूलने वाले अफसरों को बचाने का दबाव वरीय अधिकारी डाल रहे हैं.
सरकार ने मौत की फाइल बंद कर दी
इसी तनाव में उमेश कच्छप ने जान दे दी. तब सीआईडी और फोरेंसिक टीम ने पुलिस अफसरों को प्रारंभिक जांच में दोषी पाया था, लेकिन जब आदिवासी हितों की रक्षा का दावा कर करने वाली सरकार बनी तो सरकार ने आदिवासी अफसर की मौत की फाइल बंद कर दी. उन्होंने कहा कि सरकारी अधिवक्ता ने जांच बंद करने की सलाह देकर इस सरकार में क्राइम पार्टनर बन चुके एक अफसर को सीआईडी की जांच में बचाने का प्रयास किया.
उमेश कच्छप की बिटिया पिता की मौत का इंसाफ मांग रही है
मरांडी ने कहा कि उमेश कच्छप की बिटिया विनीता आज पिता की मौत का इंसाफ मांग रही है. उच्च न्यायालय से सीबीआई जांच कराने का गुहार लगा रही है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आदिवासी इंस्पेक्टर की मौत की जांच सीबीआई से क्यों नहीं कराते?
बच्ची की सीबीआई जांच की फरियाद क्यों नहीं सुन रहे?
आदिवासी दारोगा की बच्ची की सीबीआई जांच की फरियाद क्यों नहीं सुन रहे? काहे और किस गुनहगार को बचाने के लिए आदिवासी बच्ची को न्यायालय का चक्कर लगवा रहे हैं? उन्होंने कहा कि हिम्मत करिए, आदिवासी हित में कलम उठाइये और उमेश कच्छप मौत के कारण की जांच के लिए यह मामला सीबीआई के हवाले करिये.