50वें जन्मदिन पर भी नहीं मनाई खुशियां, पिता शिबू सोरेन के निधन से शोक में डूबे CM हेमंत सोरेन
Ranchi: झारखंड के मुख्यमंत्री और झामुमो अध्यक्ष हेमंत सोरेन का आज 10 अगस्त को 50वां जन्मदिन है, लेकिन इस बार वे अपना जन्मदिन नहीं मना रहे हैं। बीते 4 अगस्त को उनके पिता और झारखंड आंदोलन के प्रणेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन हो गया था। वर्तमान में श्राद्ध कर्म चल रहा है और मुख्यमंत्री शोक में हैं।
संघर्षों और उपलब्धियों से भरा सफर
हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ। बचपन से ही वे पढ़ाई में तेज थे और इंजीनियर बनने का सपना देखते थे। उन्होंने रांची के बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा में दाखिला भी लिया, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों और राजनीति की परिस्थितियों ने उनका रास्ता बदल दिया।
राजनीति में कदम
1998 में शिबू सोरेन और 1999 में उनकी पत्नी रूपी सोरेन की चुनावी हार के बाद, झामुमो कमजोर दौर से गुजर रहा था। इसी समय हेमंत को पार्टी के छात्र-युवा संगठन की जिम्मेदारी मिली। उन्होंने पढ़ाई छोड़कर पिता और बड़े भाई दुर्गा सोरेन के साथ संगठन को मजबूत करने में जुट गए।
शुरुआती हार और फिर सफलता
2005 में दुमका से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और संगठन में सक्रिय रहे।
2009 में राज्यसभा पहुंचे और उसी साल दुमका विधानसभा सीट भी जीती। 2010 में वे उपमुख्यमंत्री बने।
मुख्यमंत्री बनने का सफर
13 जुलाई 2013 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह गठबंधन सरकार 23 दिसंबर 2014 तक चली।
2014 में दुमका से हार और बरहेट से जीत मिली। अगले पांच साल नेता प्रतिपक्ष रहते हुए सक्रिय राजनीति की।
पार्टी की पूरी जिम्मेदारी
2009 में बड़े भाई दुर्गा सोरेन के निधन और पिता की बढ़ती उम्र के कारण हेमंत ने झामुमो की पूरी कमान संभाली। उन्होंने पार्टी को नई ऊर्जा दी और कई राजनीतिक सफलताएं हासिल कीं।
पुत्र और नेता, दोनों की भूमिका
उन्होंने एक ओर पिता की राजनीतिक विरासत संभाली, तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री के रूप में राज्य के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाएं लागू कीं। वे जनहित के मुद्दों पर हमेशा मुखर रहे।
