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नई दिल्ली. बजट 2025 पेश होने में अब कुछ ही घंटे बचे हैं और सभी की नजरें उन महत्वपूर्ण घोषणाओं पर टिकी हैं जो आम आदमी पर बड़ा असर डालेंगी. इनकम टैक्स से संबंधित प्रमुख घोषणाओं के अलावा, मध्यम वर्ग के लिए काम का क्षेत्र उन वस्तुओं की सूची भी है, जो बजट की घोषणा के बाद या तो महंगी हो जाएंगी या सस्ती. बजट में कई ऐसी घोषणाएं होनी हैं, जिनका असर रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली चीजों पर भी पड़ेगा.
अमूमन बजट में कुछ सेक्टर्स पर टैक्स बढ़ाया जाता है या फिर आयात शुल्क लगा दिया जाता है. ऐसे सेक्टर्स के उत्पाद टैक्स बढ़ाए जाने की वजह से महंगे हो जाते हैं. इसी तरह, कुछ क्षेत्रों के प्रोडक्ट पर आयात शुल्क या तो घटा दिया जाता है या फिर खत्म कर दिया जाता है. लिहाजा टैक्ट कम होने या खत्म किए जाने की वजह से इन प्रोडक्ट की कीमतें कम हो जाती हैं.
- इलेक्ट्रॉनिक्स और गैजेट्स (स्मार्टफोन, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी), इन प्रोडक्ट के उपकरणों पर आयात शुल्क में कटौती की संभावना है.
- इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) में भी स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी या कर प्रोत्साहन की उम्मीद है.
- जीवन रक्षक दवाओं (कैंसर और दुर्लभ रोगों के उपचार) की पहुंच बढ़ाने के लिए टैक्स छूट की संभावना.
- टेक्सटाइल और गारमेंट्स की उत्पादन लागत को कम करने के लिए सरकारी समर्थन और शुल्क कटौती.
- घरेलू उपकरण के लिए अगर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर टैक्स कटौती होती है तो वॉशिंग मशीन, एसी और फ्रिज सस्ते हो सकते हैं.
- सोलर पैनल और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पाद पर भी हरित ऊर्जा को अपनाने के लिए सरकारी प्रोत्साहन की संभावना है.
- सस्ते घर के लिए होम लोन पर टैक्स लाभ या ब्याज में कटौती की संभावना.
इन प्रोडक्ट के बढ़ सकते हैं दाम
- लग्जरी सामान और हाई क्लास इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट से जुड़े प्रीमियम उत्पादों पर जीएसटी बढ़ने की संभावना.
- आयातित ऑटोमोबाइल जैसे लग्जरी और उच्च-स्तरीय इम्पोर्टेड कारों पर कस्टम ड्यूटी में वृद्धि की संभावना.
- तंबाकू और सिगरेट पर स्वास्थ्य उपाय के रूप में टैक्स में वृद्धि की संभावना है.
- शराब की खपत को कम करने के लिए उत्पाद शुल्क में वृद्धि की संभावना दिख रही.
- सोना और चांदी जैसी कीमती धातुओं पर आयात शुल्क में वृद्धि की संभावना दिख रही.
- हवाई यात्रा से जुड़े विमानन ईंधन टैक्स में वृद्धि से टिकट की कीमतों पर असर पड़ सकता है.
- मोबाइल रिचार्ज प्लान और इंटरनेट सेवाएं को दूरसंचार बुनियादी ढांचे की बढ़ती लागत के कारण महंगा किया जा सकता है.