बुद्ध पूर्णिमा 12 मई को

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समाज में व्याप्त अंधविश्वास और बुराइयों को समाप्त करने के लिए बुद्ध शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक: संजय सर्राफ

रांची : विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि बुद्ध पूर्णिमा जिसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है यह दिन भगवान गौतम बुद्ध के जन्म उनके ज्ञान की प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की तिथि के रूप में मनाया जाता है,बुद्ध पूर्णिमा का महत्व केवल उनके जन्म तक सीमित नहीं है, बल्कि इस दिन की पावनता इसलिए भी विशेष है क्योंकि यही वह तिथि है जब भगवान बुद्ध को बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे गहन तपस्या के बाद सत्य और ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.बुद्ध पूर्णिमा को आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का विशेष अवसर माना जाता है.यह पर्व हर वर्ष वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है.

बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह दिन ध्यान, तप, और करूणा के अभ्यास का प्रतीक है,जबकि हिंदू धर्म में इसे ईश्वर के अवतार के रूप में पूजा जाता है. इस दिन कई लोग सत्य, अहिंसा और संयम का व्रत लेकर पुण्य अर्जित करते हैं. बुद्ध पूर्णिमा को आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का विशेष अवसर माना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा का पर्व 11 मई को रात 8 बजकर 1 मिनट से प्रारंभ होगा और 12 मई को रात 10 बजकर 25 मिनट तक समाप्त होगा. उदया तिथि के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमाउ का पर्व 12 मई सोमवार को मनाया जाएगा. जो बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म दोनों के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण है. इन योगों में पवित्र नदियों में स्नान, भगवान विष्णु और भगवान बुद्ध की पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है,जो आत्मिक शांति और पुण्य अर्जन का कारण बनते हैं.

यह समय पूजा, ध्यान और तप के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है. इस दिन के विशेष योगों का लाभ उठाकर लोग भगवान बुद्ध की कृपा प्राप्त करने के साथ-साथ अपने जीवन में शांति और समृद्धि लाने की कोशिश करते हैं. यह दिन न केवल भगवान गौतम बुद्ध का जन्मदिन है, बल्कि इसी दिन उन्हें सत्य का ज्ञान भी प्राप्त हुआ था. बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन को भगवान बुद्ध द्वारा दिखाए गए जीवन के सत्य और उनके धर्म के उपदेशों का पालन करने के रूप में मनाते हैं. इस दिन का धार्मिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह दिन आध्यात्मिक जागरूकता और मानवता के सेवा की प्रेरणा देता है. ध्यान, साधना, और करुणा के साथ भगवान बुद्ध की पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन की परेशानियों से उबरने में मदद मिलती है.

हिंदू धर्म में भी इस दिन का महत्व है क्योंकि इसे भगवान विष्णु के नौवे अवतार के रूप में देखा जाता है. भगवान बुद्ध ने जीवन के दुःख, पाप, और कर्म के फल को समझाया और इसे पवित्र उपदेशों के माध्यम से मानवता को दिखाया. इस दिन को आध्यात्मिक उन्नति, आत्मिक शांति, और पुण्य अर्जन का अवसर माना जाता है. समाज में व्याप्त अंधविश्वास और बुराइयों को समाप्त करने के लिए बुद्ध शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक है इस दिन हम सभी को अपने आचरण में सुधार लाकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का संकल्प लेना चाहिए.

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