रांची : लोकतंत्र के इतिहास में अब तक हजारीबाग लोकसभा सीट पर कुल 17 बार चुनाव हुए. इस सीट पर किसी भी पार्टी का कभी दबदबा नहीं रहा. हमेशा बदलाव का दौरा चला लेकिन सबसे ज्यादा यहां से भाजपा ने जीत दर्ज की. वर्ष 1952 से 2019 तक सात बार भाजपा, दो बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, तीन बार भारतीय कांग्रेस पार्टी, दो बार छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी, एक बार जनता पार्टी, एक बार भारतीय लोकदल और एक बार निर्दलीय ने जीत हासिल की है. हजारीबाग लोकसभा सीट ने देश को वित्त और विदेश मंत्री भी दिया है.
मांडू और सदर विधायक दोनों के करियर दांव पर
हजारीबाग लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन ने जयप्रकाश भाई पटेल को उम्मीदवार बनाया है. जेपी पटेल के मैदान में आने के बाद मुकाबला रोचक होने की संभावना है. भाजपा के मनीष जायसवाल और कांग्रेस के जेपी पटेल के बीच कड़ा मुकाबला होने के आसार हैं. कांग्रेस पार्टी ने टेकलाल महतो की राजनीतिक पृष्ठभूमि व जातीय समीकरण को साधते हुए जेपी पटेल को उम्मीदवार घोषित किया है. जेपी पटेल के आने के पहले इस सीट पर ऐसा लग रहा था कि भाजपा के मनीष जायसवाल के खिलाफ विपक्षी खेमे में कोई दमदार उम्मीदवार नहीं है लेकिन कांग्रेस पार्टी भाजपा को मात देने के लिए उसके ही घर में सेंधमारी करने में कामयाब हो गयी और भाजपा को भनक तब तक नहीं लगी.
वर्ष 2019 चुनाव में जेपी पटेल ने भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार किया था. भाजपा के जयंत सिन्हा विजयी हुए थे. उन्हें कुल 728,798 वोट मिले थे. कांग्रेस के गोपाल साहू को 2,04950 वोट मिले थे. यहां पर भाकपा के भुवनेश्वर प्रसाद मेहता भी भाग्य आजमा रहे थे. उन्हें 32,109 मतों से ही संतोष करना पड़ा था. इस तरह जयंत सिन्हा ने कांग्रेस के गोपाल साहू को पांच लाख से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया था. इसकी एक वजह यह भी थी कि जेपी पटेल ने जयंत सिन्हा के पक्ष में प्रचार किया था लेकिन अब परिस्थिति बदल गई है.
भाजपा के जेपी पटेल अब कांग्रेस के हो गये हैं और मनीष जायसवाल के खिलाफ चुनाव भी लड़ रहे हैं. हजारीबाग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. हजारीबाग सदर सीट पर भाजपा के मनीष जायसवाल, मांडू सीट पर जेपी पटेल जो अब कांग्रेस के हो गये हैं. बरही में उमा शंकर अकेला और बड़कागांव में अंबा प्रसाद कांग्रेस की विधायक हैं जबकि रामगढ़ में आजसू की सुनीता देवी विधायक हैं.
वर्ष 2014 में भाजपा के जयंत सिन्हा को कुल 4,06931 मत मिले थे जबकि कांग्रेस के सौरभ नारायण सिंह को 2,47,803 वोट मिले थे. आजसू ने भाजपा से नाता तोड़कर पूर्व विधायक लोकनाथ महतो को उम्मीदवार बनाया. उन्हें 1,56,186 वोट मिले थे. इस तरह भाजपा के जयंत सिन्हा 1,59,128 मतों के अंदर से कांग्रेस के सौरभ नारायण सिंह को पराजित किया था.
हालांकि, 2024 की राह भाजपा के लिए आसान नहीं है. जेपी पटेल को उनके पिता टेकलाल महतो की राजनीतिक पृष्ठभूमि का फायदा मिल सकता है. टेकलाल महतो आंदोलनकारी थे. मांडू विधानसभा में पांच बार विधायक रहे थे. 2004 के लोकसभा चुनाव में टेकलाल महतो झामुमो की टिकट पर गिरिडीह से लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे. टेकलाल महतो ने उस वक्त भाजपा के रवींद्र पांडेय को करीब डेढ़ लाख वोटों के अंतर से हराकर संसद पहुंचे थे. टेकलाल महतो झामुमो के संस्थापक सदस्यों में एक थे. अलग राज्य के आंदोलन में शिबू सोरेन, एके विनोद बिहारी महतो के साथ टेकलाल शामिल थे.
2011 से लगातार विधायक हैं जेपी पटेल और 2014 से सदर विधायक हैं मनीष जायसवाल
27 सितंबर, 2011 को टेकलाल महतो के निधन होने के उपरांत मांडू में हुए उपचुनाव में उनके बेटे जेपी पटेल ने महेश सिंह को हराकर पहली विधायक बने थे. इसके बाद वे लगातार इस सीट पर विधायक हैं. जेपी पटेल हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में पेयजलापूर्ति एवं मद्य निषेध मंत्री भी रह चुके हैं जबकि मनीष जायसवाल 2014 से लगातार सदर विधानसभा सीट से विधायक हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार प्रदीप प्रसाद को 27129 मतों के अंतर से पराजित कर विधायक बने थे. 2019 के चुनाव में इस सीट पर मनीष जायसवाल 51 हजार से अधिक मतों से जीते थे. उन्होंने कांग्रेस के डॉ. आरसी प्रसाद मेहता को पराजित किया था. इस बार हजारीबाग संसदीय सीट पर मनीष जायसवाल और जेपी पटेल के बीच सीधा मुकाबला होगा.
कांग्रेस की ओर से हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से मांडू से भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते जेपी पटेल की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में राजनीति सरगर्मी तेज हो गई है. इस सीट पर जेपी पटेल का मुकाबला भाजपा विधायक (सदर) मनीष जायसवाल से होगा, जिन्हें भाजपा ने सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का टिकट काटकर विधायक बनाया है.
इस चुनाव में कांग्रेस को बड़कागांव और बरही से बढ़त हासिल हो सकती है. क्योंकि, इन दोनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल की बात करें तो सदर विधानसभा क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ है. अन्य विधानसभा क्षेत्र में उनकी पहचान जरूर है लेकिन उन्हें वोट के लिए मजबूत घेराबंदी करनी होगी. कुल मिलाकर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा की जेपी और मनीष दोनों को राह उतनी आसान नहीं है. इस चुनाव में दोनों विधायकों का करियर भी दांव पर है.