खूंटी : खूंटी संसदीय क्षेत्र में व्याप्त गुटबाजी और लचर संगठन ने संसदीय चुनाव में भाजपा की नैया डुबो दी. यही कारण है कि एक ओर जहां भाजपा के वोट शेयर में 7.33 फीसदी कमी आई, वही कांग्रेस के वोट शेयर में 8.82 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
पिछले लोकसभा चुनाव में खूंटी लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने रिकॉर्ड 511647 मत हासिल किये. कांग्रेस को 54.62 प्रतिशत वोट मिले, जबकि भाजपा को 38.64 प्रतिशत वोट मिले और यही 15.98 प्रतिशत अंतर ही भाजपा की हार का कारण बना. 2019 में भाजपा यहां से जीती तब उसके जीत का अंतर 0.17 प्रतिशत था. 2019 में भाजपा को 45.97 प्रतिशत तथा कांग्रेस को 45.80 प्रतिशत वोट मिले थे. झारखंड पार्टी को महज 0.9 प्रतिशत मत मिले, जो उसका न्यूनतम वोट ह. झारखंड की सबसे पुरानी झारखंड पार्टी को इस चुनाव में मात्र 8450 वोट मिले, जो कुल मत का मात्र 0.9 प्रतिशत है. नोटा ने इस चुनाव में भी अपना कमाल दिखा ही दिया. तीसरे स्थान पर रहे नोटा को कुल 21919 मत मिले. 2019 के चुनाव में भी नोटा तीसरे स्थान पर था. तब नोटा को 21245 वोट मिले थे.
भाजपा विधायकों के गढ़ में ही मात खा गये अर्जुन मुंडा
खूंटी लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में से तोरपा तथा खूटी विधानसभा सीट भाजपा के कब्जे में है. इसके बावजूद कांग्रेस को इन्हीं दो विधानसभा क्षेत्रों में सबसे अधिक वोट मिले. कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा को सबसे अधिक बढ़त खूंटी विधानसभा क्षेत्र में मिली. यहां कांग्रेस को 47595 वोट की बढ़त हासिल हुई. तोरपा में कांग्रेस प्रत्याशी को 35420 वोट से बढ़त मिली. इसके अलावा अर्जुन मुंडा खरसावां में भाजपा 14950 मत से पीछे रहे. कोलेबिराा विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस को भाजपा की तुलना में लगभग 35 हजार मतों की बढ़त मिली.
चुनाव प्रचार में जिले के किसी बड़े नेता ने नहीं दिखाई थी रुचि
चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई. पार्टी का संगठन भी कगजी बनकर रह गया. भाजपा के कार्यकर्ता ही बताते हैं कि पन्ना प्रमुख से लेकर शक्ति केंद्र सभी सिर्फ कागजों में ही हैं. धरातल पर संठन नजर नहीं आता. यही कारण है कि जिन दो विधानसभा सीटों तोरपा और खूंटी में भाजपा के विधायक हैं और इन्हीं क्षेत्रों में कांग्रेस को भारी बढ़त मिली. कार्यकर्ता बताते हैं कि चुनाव प्रचार के लिए न तो जिला स्तर का कोई नेता गांवों में गया और न ही किसी से जनसंपर्क किया और इसका खमियाजा अर्जुन मुंडा को भुगतना पड़ा
दूसरी बार चंद्रशेखर गुप्ता को अध्यक्ष बनाये जाने से थी नाराजगी
पहले ही निष्क्रिय और विवादों में रहे भाजपा के खूंटी जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर गुप्ता को चुनाव के कुछ दिन पहले फिर से जिलाध्यक्ष बनाये जाने से पार्टी कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी थी औैर वे चुनाव प्रचार में उदासीन रहे. कार्यकर्ता पहले से जिलाध्यक्ष की कार्यशैली से नाराज थे. रही सही कसर स्थानीय नेताओं के अहं ने पूरी कर दी.
चुनाव के दौरान पार्टी द्वारा मनोनीत पदाधिकारियों ने कार्यकर्ताओं को कोई अहमियत नहीं दी और न ही उनकी शिकायतों को सुना. जब भी कोई पुराना कार्यकर्ता कोई बात कहने चुनाव कार्यालय जाता था, तो उसे कहा जाता था, ये सब तो चुनाव में होता ही रहता है. बाइक रैली से लेकर अन्य कार्यों में भी स्थानीय नेताओं ने सगठन को अंधेरे में रखा. पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं का मानना है कि संगठन की ऐसी ही स्थिति रही, तो विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.