भाजपा ने हूल क्रांति के समय अंग्रेजों का दिया था साथ, अब आदिवासी हित की बात सिर्फ दिखावा: डॉ. इरफान अंसारी
रांची: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर करारा हमला बोला है। उन्होंने भाजपा पर आदिवासी समाज के खिलाफ षड्यंत्र रचने और इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया है।
डॉ. अंसारी ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए कहा, “भाजपा ने हूल क्रांति के समय अंग्रेजों का साथ दिया था। उस दौर में भी आदिवासियों को गुमराह करने की कोशिश की गई थी और आज भी यही सिलसिला जारी है। अंग्रेजों के साथ मिलकर आदिवासी समुदाय के अस्तित्व को मिटाने की साजिश रची गई थी। अब वही लोग हूल दिवस के दिन आदिवासी हितैषी बनने का दिखावा कर रहे हैं। यह सब केवल राजनीतिक दिखावा और पाखंड है।”
स्वास्थ्य मंत्री ने भाजपा को आदिवासियों के खिलाफ काम करने वाली ताकत बताया और कहा कि भाजपा का इतिहास आदिवासियों के संघर्ष और बलिदान को दबाने का रहा है। उन्होंने कहा कि हूल क्रांति कोई साधारण घटना नहीं थी, बल्कि यह भारत की आज़ादी की पहली लहरों में से एक थी, जिसमें सिद्धू-कान्हू जैसे वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति देकर ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी थी।
हूल क्रांति: भारत के आदिवासी स्वाभिमान का प्रतीक
डॉ. अंसारी ने कहा कि हूल दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को जानना और समझना आज के समय में बेहद जरूरी है, खासकर युवाओं और आदिवासी समाज के लिए। उन्होंने कहा, “1855 में सिद्धू और कान्हू मुर्मू ने जिस साहस के साथ अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ विद्रोह किया, वह इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। उस समय 10 हजार से ज्यादा आदिवासियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था।”
मंत्री ने लोगों से अपील की कि वे असली और नकली चिंता जताने वालों में फर्क करें। “आज कुछ राजनीतिक दल आदिवासी हितैषी होने का दिखावा कर रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि उनके शासन में आदिवासी समाज के अधिकारों का हनन हुआ है। हमें सतर्क रहना होगा और अपने इतिहास को जानकर ही सही नेतृत्व और दिशा तय करनी होगी,” डॉ. अंसारी ने कहा।
हर साल 30 जून को मनाया जाता है हूल दिवस
गौरतलब है कि हूल दिवस झारखंड सहित देश के विभिन्न हिस्सों में हर साल 30 जून को मनाया जाता है। यह दिन 1855 की उस ऐतिहासिक क्रांति की याद में मनाया जाता है, जब झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में सिद्धू-कान्हू मुर्मू और उनके हजारों साथियों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक बड़ा जनआंदोलन छेड़ा था। इसे ‘हूल विद्रोह’ के नाम से जाना जाता है, और यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है।
डॉ. इरफान अंसारी ने इस मौके पर राज्य की जनता से हूल क्रांति के मूल संदेश को समझने और आदिवासी समाज के हक व अधिकार के लिए एकजुट होकर काम करने की अपील की।
