रांची : प्रदेश भाजपा ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से सचिवालय घेराव कार्यक्रम पर पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जांच कराने का आग्रह किया है. इस संबंध में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन सौंपा.
भाजपा के प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे ये नेता
प्रतिनिधिमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दीपक प्रकाश, प्रदेश महामंत्री डॉ प्रदीप वर्मा और बालमुकुंद सहाय शामिल थे.
भाजपा कार्यकर्ताओं-नेताओं के खिलाफ मामलों की न्यायिक जांच की मांग
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को बताया कि 11 अप्रैल को रांची में पार्टी की ओर से सचिवालय घेराव कार्यक्रम को बाधित करने का काम राज्य सरकार ने किया. बावजूद इसके प्रदेश भाजपा की ओर से आयोजित यह कार्यक्रम पूरी तरह से लोकतांत्रिक रहा. लोकतंत्र में सत्ता की विफलताओं-नाकामियों को उजागर करना विपक्ष का धर्म है. इसका पालन लोकतांत्रिक तरीके से भाजपा ने किया है. कार्यक्रम में शामिल हजारों भाजपा कार्यकर्ताओं एवं आम जनता ने धैर्य एवं संयम का परिचय दिया. कहीं भी कोई तोड़-फोड़, हिंसा नहीं की. ऐसे में पुलिस धौंस, फर्जी मुकदमों, संगीन अपराध की कानूनी धाराओं के आधार पर हेमंत सरकार अपने कुकृत्यों पर पर्दा डालना चाहती है.
नेताओं ने आग्रह कहा कि 11 अप्रैल को भाजपा की ओर से आयोजित सचिवालय घेराव कार्यक्रम में हुई पुलिस कार्रवाई, लाठीचार्ज, नेताओं, कार्यकर्ताओं पर हुए फर्जी मुकदमों की न्यायिक जांच कराई जाये. दोषियों पर सख्त कार्रवाई के लिए आवश्यक निर्देश दिए जाए.
राज्य सरकार की नियत में खोट
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से कहा कि प्रदेश भाजपा लगातार हेमंत सरकार की विफलताओं, नाकामियों को उजागर करती रही है. पार्टी ने राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता की भावनाओं के अनुरूप हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही गठबंधन सरकार की जनविरोधी नीतियों, वादा खिलाफी को सड़क से सदन तक लगातार उजागर किया है. केंद्रीय जांच एजेंसियों के द्वारा राज्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के गंभीर मामले आए दिन उजागर हो रहे हैं. राज्य के लिए शर्मनाक स्थिति यह है कि भ्रष्टाचार के मामले में स्वयं मुख्यमंत्री, उनके परिजन, सहयोगी के साथ कई वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता भी उजागर हुई है. राज्य सरकार की नियत में ही खोट है, यह सरकार राज्य का विकास नहीं करना चाहती बल्कि अपने परिजनों और चहेतों को केवल खनिज संसाधनों और राज्य के खजाने को लूटने की छूट देना चाहती है.