बिहार चुनाव से पहले नीतीश का बड़ा दांव: आशा-ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि दोगुनी, तेजस्वी ने बताया ‘नकलची सरकार’
Patna : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला लेते हुए आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि को दोगुना करने की घोषणा की है। सरकार इस कदम को सामाजिक कार्यकर्ताओं के हक में बड़ा निर्णय बता रही है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए लिया गया रणनीतिक दांव माना जा रहा है।
🗣️ तेजस्वी यादव का हमला:
राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस घोषणा पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक AI वीडियो साझा करते हुए नीतीश सरकार पर निशाना साधा। तेजस्वी ने लिखा:
“मेरे 17 महीने के स्वास्थ्य मंत्री कार्यकाल में आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में थी, लेकिन नीतीश सरकार ने आदतन पलटी मार दी। दो साल से चुप रहने के बाद अब हमारी मांग के सामने उन्हें झुकना पड़ा।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने चालाकी से पूरी मांगें नहीं मानीं। तेजस्वी ने कहा:
“आशा-ममता कार्यकर्ताओं को केवल प्रोत्साहन राशि नहीं, मानदेय मिलना चाहिए। अगर हमारी सरकार बनी तो हम उन्हें मानदेय देंगे।”
📌 तेजस्वी का ट्रैक रिकॉर्ड और सरकार पर तंज:
तेजस्वी ने अपने कार्यकाल में लिए गए निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने विकास मित्र, शिक्षा मित्र, टोला सेवक, तालीमी मरकज़ और पंचायती राज जनप्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाया था। उन्होंने नीतीश सरकार को “नकलची, थकी-हारी और विजनहीन” करार दिया और कटाक्ष किया:
“20 साल तक क्या मूंगफली छील रहे थे? अब सत्ता जाते देख हमारी नकल कर रहे हैं।”
🗳️ चुनावी मायने और राजनीतिक सरगर्मी:
नीतीश कुमार की यह घोषणा चुनावी रणनीति के तौर पर देखी जा रही है। आशा और ममता कार्यकर्ता बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं और इनकी संख्या लाखों में है। ऐसे में यह फैसला ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
तेजस्वी यादव की तीखी प्रतिक्रिया यह स्पष्ट करती है कि विपक्ष इस मुद्दे को चुनाव में भुनाने की पूरी तैयारी में है। आने वाले दिनों में इस पर सियासी बयानबाज़ी और तेज़ हो सकती है।
