झारखंड में लागू होगी AI पॉलिसी, इस विभाग को मिली जिम्मेदारी

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Ranchi : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते आयाम और इसके उपयोग को देखते हुए झारखंड में भी ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पॉलिसी’ लागू की जायेगी. मिली जानकारी के अनुसार इसके तहत AI के उपयोग पर जिम्मेदारी व कानूनी पहलुओं का समावेश होगा. इसके अलावा झारखंड में ‘इनोवेशन व रिसर्च पॉलिसी’ तथा ‘बायोटेक्नोलॉजी पॉलिसी’ भी लागू की जायेगी. तीनों पॉलिसी तैयार करने के लिए राज्य सरकार ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग को जिम्मेदारी दी गई है. इस दिशा में विभाग द्वारा आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. प्रस्ताव तैयार होने के बाद इसे कैबिनेट में लाया जायेगा.

AI पॉलिसी के तहत राज्य सरकार इसका विकास और इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ करने के लिए शर्त निर्धारित करेगी. साथ ही इसके नैतिक, सामाजिक और कानूनी मुद्दों को स्पष्ट किया जायेगा. गलत उपयोग करने पर कानूनी प्रावधान तय किये जायेंगे. पॉलिसी लागू करने से पूर्व विभाग यूरोपीय संघ के ‘AI अधिनियम’ का भी अध्ययन करेगा. वहीं, AI से जुड़े जोखिम के साथ इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मापदंड निर्धारित किये जायेंगे. साथ ही व्यक्तियों की गोपनीयता का सम्मान करने के लिए भी प्रावधान रखे जायेंगे. कंपनी/संस्थान द्वारा इसके उपयोग के लिए शर्तें निर्धारित होंगी.

बता दें कि इस नयी पॉलिसी में राज्य के विवि में इनोवेशन व गुणवत्तायुक्त रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग प्रावधान होंगे. विवि व कॉलेजों में व्यक्तिगत आधार पर सीड मनी दी जाती है, लेकिन इस पॉलिसी के तहत अब इनोवेशन व रिसर्च के लिए विवि व कॉलेजों को भी अधिक से अधिक राशि सीड मनी के रूप में दी जायेगी. इस पॉलिसी के तहत नयी तकनीकों को विकसित करना और उन्हें बाजार में लाने के लिए मापदंड निर्धारित होंगे. विद्यार्थियों व शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिए नये-नये प्रावधान रखे जायेंगे. साथ ही एक्टिविटी बढ़ाने के लिए तरीके बताये जायेंगे.

झारखंड में बायोटेक्नोलॉजी यानि जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए नयी नीति तैयार की जायेगी. इसके तहत केंद्र सरकार द्वारा तैयार बायो ई-3 नीति के प्रावधानों को भी झारखंड सरकार अपनायेगी. इस पॉलिसी में नेट जीरो कार्बन अर्थव्यवस्था और मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली ) को ध्यान में रखा जायेगा. इस पॉलिसी के तहत जैव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हब, बायोफाउंड्रीज की स्थापना की जायेगी. इसके माध्यम से जैव आधारित उत्पादों और उनके व्यवसायीकरण के लिए टेक्नोलॉजी के विकास में तेजी लायी जायेगी.

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