रांची : झारखंड हाई कोर्ट ने गढ़वा सदर में अतिक्रमण बताकर एक घर को तोड़ने की नोटिस दिए जाने से संबंधित अशोक कुमार की याचिका की सुनवाई के बाद आदेश में कहा कि प्रशासन या सरकार किसी भी व्यक्ति के घर को जबरदस्ती नहीं तोड़ सकते, चाहे वह अवैध अतिक्रमण ही क्यों ना हो.
कोर्ट ने कहा कि कानून के द्वारा विधि सम्मत तरीके से प्रोसिडिंग चलाएं बिना घर तोड़ने की कार्रवाई नहीं की जा सकती है, चाहे वह अतिक्रमण का क्यों ना हो. कोर्ट ने आदेश दिया कि यदि राज्य सरकार को लगता है कि याचिकाकर्ता का घर अवैध अतिक्रमण का है तो झारखंड पब्लिक लैंड एंक्रोचमेंट एक्ट के तहत कार्रवाई कर करके ही उसे हटा सकती है. बगैर इसके याचिकाकर्ता का घर नहीं हटाया जा सकता है.
याचिकाकर्ता के गढ़वा सदर स्थित आवास में 10 मार्च को गढ़वा सीईओ ने नोटिस निर्गत कर 24 घंटे के अंदर उनके घर के दस्तावेज को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, अन्यथा उसके घर को अवैध अतिक्रमण मानते हुए उसे अतिक्रमण मुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही थी. इसके बाद 11 मार्च को याचिकाकर्ता ने गढ़वा सीओ के पास समुचित कागजात जमा कर दिए थे. इसके बाद भी सर्किल इंस्पेक्टर, गढ़वा सदर पुलिस बल के साथ उनके घर आए थे और उनके घर की नापी ली और लाल दाग लगा दिया था. याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने मामले में दिशा-निर्देश देते हुए याचिका निष्पादित कर दी.