झामुमो विधायक चमरा लिंडा गुरुवार को फुल फॉर्म में नजर आये. उन्होंने केंद्र व अपनी ही सरकार को जमकर कोसा और कहा कि झारखंड में कहने के लिए आदिवासियों की सरकार है. परंतु आज भी राज्य के आदिवासी हाशिये पर ही हैं. तीन साल में आदिवासियों के हित में सरकार ने कोई ठोस कदम उठाने का काम नहीं किया है. उक्त बातें झामुमो विधायक चमरा लिंडा ने गुरुवार को प्रभात तारा मैदान में कही जहां आदिवासी अधिकार महारैली का आयोजन किया गया था. उन्होंने यहां तक कह दिया कि कुछ लोग लालची हैं. इसलिए आदिवासी बनने को ललायित हैं. महारैली में लोहरदगा, गुमला, खूंटी, तमाड़, बुंडू, चाईबासा, संताल परगना से आये आदिवासी समाज के लोग पहुंचे थे.
रैली को संबोधित करते हुए झामुमो विधायक चमरा लिंडा ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार व उनके अधिकारी अंग्रेजों और भारतीय संविधान द्वारा दिये गये संवैधानिक अधिकारों को छिपाने का काम करते रहे हैं. यह संवैधानिक अधिकार ही आदिवासियों के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है. उन्होंने कहा कि पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को जान-बुझकर लागू होने नहीं दिया जाता है. यदि झारखंड के 13 जिलों में पांचवीं अनुसूची का प्रावधान लागू हो गया तो आदिवासियों को किसी के आगे भीख नहीं मांगनी पड़ेगी. आदिवासी खुद ही स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बन जायेंगे.
झामुमो विधायक चमरा लिंडा ने रैली में जमकर हमला किया और कहा कि आज कुरमी, तेली और अन्य जातियां आदिवासी बनना चाहते हैं, ताकि आदिवासियों के हक और अधिकार को छीना जा सके. उन्होंने कहा कि यदि झारखंड में कुरमी को एसटी बनाने का किसी भी तरह का प्रयास हुआ तो झारखंड में 48 घंटे का चक्का जाम किया जायेगा.
झामुमो विधायक चमरा लिंडा ने कहा कि प्रदेश में हमारी सरकार है, फिर भी आदिवासियों को अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भोगता समाज को आदिवासी में शामिल कर दिया. अब एक बार फिर से भोगता समाज को महतो बनाने की तैयारी चल रही है. सरकार को अपना फैसला वापल लेना होगा. यह राज्य आदिवासियों का है, लेकिन हमारी नहीं सुनी जा रही है.
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने हमें सीएनटी-एसपीटी एक्ट दिया. पर हमारी सरकारों ने इसमें छेद कर सारी जमीन लूट ली. अगर अवैध जमीन हस्तांतरण की सीबीआइ जांच हुई, तो राज्य के 13 अनुसूचित जिलों के सभी वर्तमान व पूर्व डीसी जेल में रहेंगे.