छठ महापर्व पर आस्था का सागर : लाखों श्रद्धालुओं ने दिया अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य, घाटों पर उमड़ी भीड़
रांची : छठ महापर्व के तीसरे दिन सोमावर को राजधानी रांची सहित पूरे झारखंड में आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। लाखों श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर से परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्यता की कामना की। सुबह से ही छठ घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। हर गली, मोहल्ले, तालाब और नदी किनारे आस्था और भक्ति का भाव नजर आया। घाटों पर “जय छठी मईया” के जयघोष से पूरा वातावरण गूंज उठा।
शाम होते-होते रांची के प्रमुख घाट — कांके डैम, हटिया तालाब, बुढ़मू नदी, हरमू नदी, कुंजला नदी, और धुर्वा डैम — श्रद्धालुओं से खचाखच भर गए। छठव्रती महिलाओं ने परंपरागत वेशभूषा में सज-संवरकर, बांस की डलिया और सूप में फल, ठेकुआ, नारियल और दीप सजाकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया। पानी में कमर तक डूबकर व्रतियों ने हाथ जोड़ सूर्य देवता को नमन किया। श्रद्धालुओं ने इस दौरान भगवान सूर्य से पारिवारिक सुख-शांति, संतान की दीर्घायु और समृद्धि की प्रार्थना की।
कठोर व्रत और पूर्ण शुद्धता की मिसाल
छठ पर्व को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, जिसमें चार दिनों तक व्रती महिलाएं पूर्ण शुद्धता और आत्मसंयम के साथ उपवास रखती हैं। शनिवार को तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद रविवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह व्रत संपन्न होगा।
व्रतियों ने बताया कि “छठी मईया” की कृपा से घर में सुख और समृद्धि आती है। बिना जल ग्रहण किए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखने वाली महिलाओं की आस्था और दृढ़ता देखकर लोग अभिभूत नजर आए।
घाटों पर सुरक्षा और सफाई की चाक-चौबंद व्यवस्था
रांची जिला प्रशासन ने इस अवसर पर सुरक्षा और व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए थे। प्रमुख घाटों पर एनडीआरएफ और पुलिस बल की तैनाती की गई थी। गोताखोरों की टीम लगातार घाटों पर गश्त करती रही। महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों की सुरक्षा को लेकर महिला पुलिस बल भी मौजूद रही।
नगर निगम ने घाटों की साफ-सफाई के लिए विशेष टीम लगाई थी। घाटों को आकर्षक रोशनी, फूलों और रंगीन झालरों से सजाया गया था। साथ ही, कई स्थानों पर अस्थायी प्रकाश व्यवस्था और पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई गई।
भक्तिमय माहौल में गूंजे लोकगीत और भजन
छठ पूजा के अवसर पर लोक गीतों और पारंपरिक भजनों की गूंज ने माहौल को और भी दिव्य बना दिया। महिलाएं “केलवा जे फरेला घवद से”, “उठो सूर्य देव भईल बिहान” जैसे लोकगीत गा रही थीं। इन गीतों की मधुर ध्वनि घाटों पर गूंजती रही, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। बच्चों और युवाओं में भी उत्साह चरम पर था। कई जगहों पर स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक झांकी और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
पूरे झारखंड में आस्था का जनसैलाब
सिर्फ रांची ही नहीं, बल्कि धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर, देवघर, गिरिडीह और हजारीबाग जैसे जिलों में भी लाखों श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। सभी जगहों पर घाटों पर अपार भीड़ उमड़ी। कहीं पारिवारिक उत्सव जैसा दृश्य था, तो कहीं भक्तजन घंटों पहले से ही सूर्यास्त का इंतजार करते दिखाई दिए।
देवघर में त्रिकूट हिल झील, जमशेदपुर में डिमना लेक और धनबाद में बराकर नदी के घाटों पर भक्तों की भीड़ ने त्योहार को विशेष बना दिया। हर ओर आस्था, अनुशासन और स्वच्छता का अद्भुत समन्वय दिखा।
कल उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ होगा समापन
अब श्रद्धालु रविवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में जुट गए हैं। इस दौरान महिलाएं पुनः घाटों पर पहुंचेंगी और व्रत का समापन करेंगी। नगर प्रशासन ने सुबह के समय भीड़ को देखते हुए यातायात व्यवस्था में बदलाव करने की सूचना दी है।
छठ महापर्व के इस अद्भुत दृश्य ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यह पर्व केवल पूजा नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, स्वच्छता, अनुशासन और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है।
