
रांची: हिंदी साहित्य भारती के उपाध्यक्ष सह झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि हर वर्ष 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और पृथ्वी की रक्षा के प्रति वैश्विक जागरूकता फैलाना है. यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि पृथ्वी हमारी जीवनरेखा है और इसकी देखभाल हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है. विश्व पृथ्वी दिवस की शुरुआत 1970 में अमेरिका में की गई थी. उस समय पर्यावरणीय संकट जैसे औद्योगिक प्रदूषण, तेल रिसाव, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस दिन की नींव रखी गई. इसकी प्रेरणा अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन द्वारा दी गई थी और पहले ही वर्ष में लगभग 2 करोड़ अमेरिकी नागरिकों ने इसमें भाग लिया.
तब से यह दिन एक वैश्विक आंदोलन में परिवर्तित हो चुका है और आज 190 से अधिक देशों में इसे मनाया जाता है. हर वर्ष इस दिवस की एक विशेष थीम होती है, जो पर्यावरणीय समस्याओं की ओर ध्यान खींचने का कार्य करती है.इस वर्ष 2025 की थीम है हमारी पृथ्वी, हमारा भविष्य जो सतत विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल देती है.भारत में भी पृथ्वी दिवस के अवसर पर विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी संगठनों, और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा वृक्षारोपण, संगोष्ठियाँ, और स्वच्छता अभियानों जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. डिजिटल माध्यमों के ज़रिए युवाओं को जागरूक किया जा रहा है ताकि वे पर्यावरण के प्रति अपनी भूमिका को समझें और कारगर कदम उठाएं.
आज जब जलवायु परिवर्तन, वायु और जल प्रदूषण, जैव विविधता का ह्रास और ग्लेशियरों का पिघलना जैसे खतरे हमारे सामने हैं, तो पृथ्वी दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक चेतावनी और प्रेरणा है. यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम छोटे-छोटे कदमों से भी बड़े बदलाव ला सकते हैं-जैसे प्लास्टिक का कम प्रयोग, ऊर्जा की बचत, जल संरक्षण, और अधिकाधिक पौधारोपण.अंततः, पृथ्वी हमारी एकमात्र जीवनदायिनी ग्रह है. इसकी रक्षा करना न केवल हमारी आवश्यकता है, बल्कि यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उपहार भी होगा. आइए, इस पृथ्वी दिवस पर हम संकल्प लें कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने के लिए मिलकर कार्य करेंगे.