मौनी अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गये पाप धुल जाते हैं. मां गंगा की कृपा भी भक्तों पर बरसती है. कुंडली में शामिल अशुभ ग्रहों से मुक्ति मिलती है. इस बार माघी अमावस्या पर कई शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है. आइए जानें इस दिन स्नान, दान और तप का महत्व.
मौनी अमावस्या पर न करें ये काम
माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन वो काम नहीं करना चाहिए, जिससे आपके पितरों को कष्ट पहुंचे. ऐसे में आपकी सारी मेहनत और तपस्या पूरी तरह से व्यर्थ हो जाती है. ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. यही नहीं, इस दिन आपको नाखून, बाल, मुंडन नहीं करवाना चाहिए. इसके साथ ही मदिरा और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए. सात्विक भोजन कर ईश्वर में ध्यान लगाना चाहिए. झूठ बोलने और किसी से झगड़ा करने से भी परहेज करना चाहिए.
सिद्धि योग
माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या पर सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है. सिद्धि योग का संयोग रात 09 बजकर 22 मिनट तक है. ज्योतिष शास्त्र में सिद्धि योग को शुभ मानते हैं. इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी. इसके अलावा मौनी अमावस्या पर श्रवण एवं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग बन रहा है. इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी.
मौनी अमावस्या पर दुर्लभ संयोग
मौनी अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है. शिववास का संयोग मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को सायं 06: 05 मिनट तक है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ के अमृत स्नान के समय जो भी श्रद्धालु गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि आती है. इसलिए महाकुंभ में अमृत स्नान का विशेष महत्व है.
मौनी अमावस्या पर मौन रखने का महत्व
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व होता है. इस दिन मौन रखते हुए गंगा स्नान करने की परंपरा है. हिंदू धर्म में मौन रखने का विशेष महत्व होता है. वेदों और उपनिषदों में मौन को ब्रह्मचर्य, सत्य और संयम के साथ जोड़कर देखा गया है. वैदिक काल में ऋषि-मुनि मौन को तपस्या का एक अनिवार्य अंग मानते थे. उनका विश्वास था कि मौन रहने से मन स्थिर होता है और विचारों की उथल-पुथल शांत हो जाती है. मौन के माध्यम से आत्मा और ब्रह्मांड के बीच सीधा संवाद स्थापित होता है. इसके अलावा, मौन वाणी से होने वाले पापों, झूठ, और विवादों से बचने का मार्ग भी है.