रांची विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़, टिकट के कई दावेदार

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रांची : झारखंड में जल्द ही विधानसभा चुनाव की घोषणा होनी है. इसको लेकर सभी राजनीतिक दल ने कमर कस ली है. चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है. सभी राजनीतिक दल में टिकट के लिए भी होड़ मची हुई है. यदि रांची विधानसभा सीट की बात करें तो यह सीट भाजपा के लिए सबसे सेफ सीट मानी जाती है. हालांकि, प्रमुख सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमाे) ने पिछले चुनाव में भाजपा को जोरदार टक्कर दी थी और इस बार भी देने को तैयारी कर रही है.

जैसे-जैसे झारखंड विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे राजनीतिक दलों में हलचल भी तेज हो गई. भाजपा में हलचल कुछ ज्यादा ही है. टिकट के कई दावेदार भी कतार में खड़े हैं. कोई विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच पसीना बहा रहा है तो कोई दिल्ली पहुंचकर गणेश परिक्रमा कर रहा है. विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा में टिकट को लेकर पूरे प्रदेश में रायशुमारी हो रही है. मंडल अध्यक्षों और प्रमुख कार्यकर्ताओं को टटोला जा रहा है. संगठन की ओर से रायशुमारी के लिए नेताओं को जिम्मा भी दिया गया है. रांची विधानसभा की सीट भाजपा के लिए हॉट सीट है. यह सीट पूरे प्रदेश में भाजपा के लिए सर्वाधिक सेफ सीट मानी जाती है. इस सीट पर कई दावेदार हैं. भाजपा के अंदरखाने इस सीट को लेकर शह-मात का खेल चल रहा है. संभावित प्रत्याशी अपना हर दांव लगा रहे हैं. भाजपा कार्यसमिति के सदस्य रमेश सिंह भी रेस में हैं. रांची सीट को लेकर 11 सितंबर को रायशुमारी हुई थी.

चर्चा है कि झामुमा नेतृत्व ने राज्यसभा सांसद महुआ माजी को एक बार फिर से विधानसभा चुनाव मैदान में उतारने का मन बना लिया है. यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से महुआ माजी लगातार हर छोटे-बड़े कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. हालांकि हालांकि गठबंधन की ओर से यह तय नहीं हुआ है कि रांची सीट पर किस दल का प्रत्याशी होगा. क्योंकि, प्रमुख सत्ताधारी दल में शामिल कांग्रेस पार्टी ने भी रांची सीट पर दावा किया है.

रांची विधानसभा सीट भाजपा के लिए कई दशकों से सबसे सेफ सीट रही है. यही वजह है कि इस सीट के दावेदार भी ज्यादा है. क्योंकि प्रत्याशी जानते हैं कि यहां से टिकट मिलने से उन्हें विधानसभा का सदस्य बनने से कोई नहीं रोक सकता है. रांची विधानसभा सीट से लगातार भाजपा के प्रत्याशी जीतते आए हैं. खासकर चंदेश्वर प्रसाद सिंह ने जीत की डबल हैट्रिक लगाई है लेकिन 2024 का विधानसभा चुनाव रांची विधानसभा सीट के लिए थोड़ा मुश्किल माना जा रहा है. इसके पीछे की वजह 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमाे की प्रत्याशी महुआ माजी का सीपी सिंह को टक्कर देना है.

महुआ माजी ने सीपी सिंह को दी थी टक्कर

2019 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ माजी के पाले में अच्छी वोटिंग हुई थी. भाजपा से लगातार जीत हासिल करने वाले सीपी सिंह ने करीब 5000 वोटों से महुआ माजी को शिकस्त दी थी. यही वजह है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में भी रांची विधानसभा सीट में भाजपा के हार-जीत को लेकर सस्पेंस है. शीर्ष नेता लगातार विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड दौरे पर हैं और चर्चा है कि एक-एक सीट पर विशेष मंथन के बाद ही प्रत्याशी का चुनाव कर उतारा जाएगा. वैसे तो रांची विधानसभा सीट के लिए सीपी सिंह सबसे बेहतर प्रत्याशी माने जाते हैं. क्योंकि वह लगातार छह बार जीत चुके हैं. वर्ष 1996 के बाद वह कभी चुनाव नहीं हारे हैं.

हालांकि, रांची विधानसभा सीट पर चुनावी रण में उतरने के लिए गठबंधन सरकार की घटक दल कांग्रेस ने भी अपनी दावेदारी पेश की है. एक तरफ जहां कांग्रेस सीट पर चुनाव लड़ने की मंशा रखे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा की राज्यसभा सांसद महुआ माजी भी चुनाव में उतरना चाहती हैं. क्योंकि, पिछले चुनाव में उनकी हार काफी कम वोट से हुई थी लेकिन यह भी दावा किया जाता है कि यदि पिछले चुनाव में कांग्रेस का प्रत्याशी होता तो शायद रांची विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर सकता था. क्योंकि, अक्सर देखा गया है कि झामुमाे सैंबल को शहरी इलाके में उतना महत्व नहीं मिलता. जितना की भाजपा और कांग्रेस को मिलता है.

भाजपा कर रही है सर्वे

भाजपा शीर्ष नेतृत्व की ओर से विधानसभा चुनाव को लेकर कई एजेंसियों से प्रत्याशियों को लेकर सर्वे भी कराया गया है. इसके माध्यम से प्रत्याशी के विधानसभा क्षेत्र में कितनी पैठ है, वह कितने सामाजिक हैं, किस तरह से विकास कार्यों को करते हैं, आम लोग उन्हें किस रूप में लेते हैं. इन तमाम चीजों को लेकर जानकारी ले रही है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के विधानसभा चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और सह प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी लगातार झारखंड दौरे पर आकर यहां की जनता का मिजाज टटोलना में लगे हैं.

1996 में पहली बार जीते थे सीपी सिंह, छह बार से भाजपा का कब्जा

रांची विधानसभा सीट पर भाजपा वर्ष 1990 के बाद कभी नहीं हरी है. वर्ष 1990 में गुलशन लाल अजमानी भाजपा ने जीत हासिल की थी. अंतिम बार वर्ष 1985 में डा जय प्रकाश गुप्ता ने कांग्रेस से रांची विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी. वर्ष 1995 में यशवंत सिन्हा ने जीत दर्ज की. वर्तमान विधायक सीपी सिंह वर्ष 1996 में पहली बार रांची विधानसभा के उपचुनाव में टिकट मिला था. सीपी सिंह ने राजद के जयसिंह यादव को चुनाव में हरा कर रांची में खाता खोला. इसके बाद उन्होंने लगातार छह अलग-अलग चुनाव में बाजी मारी. पिछली बार झामुमो की राज्यसभा सांसद महुआ माजी को हराया था. इस सीट पर भाजपा ने सीपी सिंह के सहारे मजबूत खूंटा गाड़ा है.

रांची सीट पर ये हैं दावेदार

राजनीतिक गलियारे में चर्चा यह भी है कि भाजपा प्रत्याशी सीपी सिंह का इस बार टिकट कट सकता है. इसको लेकर रांची विधानसभा सीट के लिए भाजपा के कई नेता जोर आजमाइश कर रहे हैं. प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष बालमुकुंद सहाय,पूर्व सांसद अजय मारू, पूर्व डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय, रमेश सिंह, राकेश भास्कर, कृपा शंकर सिंह, संदीप वर्मा, सत्यनारायण सिंह, के के गुप्ता, प्रतुल शाहदेव, हेमंत दास, अमित सिंह, माया सिंह, राजश्री जयंती की ओर से रांची सीट पर दावेदारी की जा रही है.

हालांकि, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व लगातार मंथन में लगे हैं कि इस सीट पर किस पर दांव लगाया जाए.भाजपा के लिए 2024 का यह विधानसभा चुनाव अहम है. क्योंकि, झारखंड में दूसरी बार ऐसा हुआ है. जब सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी. इससे पहले रघुवर दास की सरकार ने कार्यकाल पूरा किया था. हेमंत सोरेन की गठबंधन सरकार भी कार्यकाल पूरा कर रही है जबकि भाजपा का हेमंत सरकार के गठन के साथ ही दावा था कि यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी.

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