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झारखंड में भारत बंद का मिला-जुला असर, कोयला, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र पर सबसे ज्यादा प्रभाव

लगभग ₹550 करोड़ का व्यापार प्रभावित, 15 लाख से अधिक कर्मचारी और श्रमिक हड़ताल पर

रांची, 9 जुलाई । झारखंड में बुधवार को देशव्यापी भारत बंद और आम हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला। राज्यभर में कोयला, बैंकिंग, बीमा, इस्पात और नगर सेवाओं सहित कई क्षेत्रों में कामकाज आंशिक या पूर्ण रूप से प्रभावित रहा। राज्य के कोयला क्षेत्रों में 90 प्रतिशत तक काम ठप रहा, जिससे खनन, लोडिंग और ढुलाई जैसी गतिविधियाँ पूरी तरह रुक गईं।

सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल जैसी बड़ी कोयला कंपनियों के कार्यालयों और परियोजनाओं में कामकाज पूरी तरह से ठप रहा। रांची स्थित दरभंगा हाउस, जहाँ सीसीएल और सीएमपीडीआई का मुख्यालय है, वहाँ भी हड़ताल का व्यापक असर देखा गया।


हड़ताल की मुख्य माँगें

17 सूत्रीय मांगों को लेकर श्रमिक संगठनों और यूनियनों ने सड़कों पर उतरकर केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया। मांगों में शामिल थे:

  • निजीकरण पर रोक
  • रोजगार की गारंटी
  • महंगाई पर नियंत्रण
  • करों और शुल्कों में कटौती
  • किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी
  • असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कानूनी व सामाजिक सुरक्षा
  • स्थायी नौकरियों का अस्थायीकरण बंद करना
  • समान कार्य के लिए समान वेतन
  • सभी के लिए मुफ्त स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता और पेयजल

बैंकिंग और बीमा सेवाओं पर असर

सरकारी बैंकों की शाखाओं में कार्य प्रभावित रहा। कई जिलों में बैंककर्मी हड़ताल में शामिल हुए। हालांकि ऑनलाइन बैंकिंग और एटीएम सेवाएं सामान्य रूप से जारी रहीं। बीमा क्षेत्र की अधिकांश शाखाएँ बंद रहीं।


अन्य औद्योगिक व सरकारी क्षेत्र भी प्रभावित

  • बोकारो के स्टील प्लांट में अधिकांश ठेका श्रमिक हड़ताल पर रहे।
  • एचईसी (HEC) में करीब 80 प्रतिशत कामकाज ठप रहा।
  • रेलवे, नगर निगम, और अन्य सार्वजनिक सेवाओं पर भी हड़ताल का असर दिखा।
  • झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष परेश गट्टानी ने बताया कि हड़ताल से राज्य में लगभग ₹550 करोड़ का व्यापार प्रभावित हुआ, जिसमें केवल रांची में ही ₹80 से 100 करोड़ का नुकसान हुआ है।

राजनीतिक समर्थन और जन प्रदर्शन

वामपंथी दलों, ट्रेड यूनियनों और विपक्षी दलों ने हड़ताल का खुला समर्थन किया। राजधानी रांची समेत धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग, लोहरदगा और चाईबासा में रैलियाँ, नारेबाजी और चक्का जाम आयोजित किए गए। अल्बर्ट एक्का चौक पर करीब दो घंटे तक यातायात बाधित रहा और एक आम सभा का आयोजन किया गया।


सरकारी सेवाओं का हाल

राज्य की सरकारी बस सेवाएँ अधिकांशतः सामान्य रही, हालांकि कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों के कारण अस्थायी रूप से सेवाएं रुकीं। अधिकांश सरकारी कार्यालयों में सामान्य उपस्थिति रही, लेकिन कई कर्मचारियों ने हड़ताल को नैतिक समर्थन दिया।

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