खूंटी : राजनीति कब क्या करवट लेगी, कौन विरोधी होगा और कौन साथ देगा, इसे कोई नहीं जानता. राजनीति में राजनेताओं की निष्ठा समय-समय पर अपनी जरूरत के अनुसार बदलती रहती है. अनुसूचित जनजातियों के लिए सुरक्षित खूंटी संसदीय सीट को ही लें. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पार्टी उम्मीदवार अर्जुन मुंडा के सारथी बने हुए हैं, वहीं 2019 के चुनाव में मरांडी भाजपा के धुर विरोधी थे और कांग्रेस उम्मीदवार कालीचरण मुंडा के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे थे. इसके उलट इस लोकसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी अर्जुन मुंडा की चुनावी नैया के खेवनहार बने हुए हैं और कालीचरण मुंडा के विरोध में जमकर प्रचार कर रहे हैं. इधर, तमाड़ विधानसभा क्षेत्र में राज्य के पूर्व मंत्री राजा पीटर 2019 के संसदीय चुनाव में अर्जुन मुंडा के विरोध में थे, तो इस चुनाव में उन्होंने अर्जुन मुंडा को समर्थन देने की घोषणा की है.
अर्जुन मुंडा को मिल सकता है फायदा
राजनीति के जानकार मानते हैं कि बाबूलाल मरांडी का साथ और राजा पीटर के समर्थन का फायदा भाजपा उम्मीदवार को हो सकता है.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कुछ दिन पहले ही राजा पीटर से भाजपा उम्मीदवार को समर्थन देने का आग्रह किया था. बताया जाता है कि राज्य के पूर्व मद्य निषेध मंत्री राजा पीटर की तमाड़ विधानसभा में अच्छी पकड़ है. पिछले चुनाव में तमाड़ और खरसावां ने ही भाजपा की लाज बचाई थी. खूंटी, तोरपा, कोंलेबिरा और सिमडेगा विधानसभा क्षेत्र में तो कांग्रेस उम्मीदवार कालीचरण मुंडा ने इतनी अच्छी बढ़त बना ली थी कि वे जीत की दहलीज तक पहुंच ही गये थे, पर तमाड़ और खरसावां के मतदाताओं ने चुनाव का पाशा ही पलट दिया और अर्जुन मुंडा 1445 मतों के अंतर से जीत गये. 2019 के लोकसभा चुनाव में तमाड़ विधानसभा क्षेत्र में अर्जुन मुंडा को कुल 86352 वोट तथा कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को 44870 वोट मिले थे. इस प्रकार अर्जुन मुंडा को कालीचरण के मुकाबले 41482 वोट अधिक मिले थे. जानकार मानते हैं कि राजा पीटर के खुलकर अर्जुन मुंडा के पक्ष में आ जाने से उनके वोटों में इजाफा हो सकता है.