रांची लोकसभा सीट पर क्या भाजपा को फिर चुनौती देंगे राम टहल चौधरी, संशय बरकरार

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रांची : रांची लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार संजय सेठ और कांग्रेस प्रत्याशी राम टहल चौधरी के बीच सीधी टक्कर हो सकती है. हाल ही में राम टहल चौधरी ने कांग्रेस का दामन थामा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें इस बार कांग्रेस चुनावी मैदान में उतार सकती है. यदि ऐसा हुआ तो रांची सीट में कभी भाजपा के सांसद रहे राम टहल चौधरी अब विपक्ष के तौर पर कांग्रेस के प्रत्याशी बनकर चुनावी मैदान में भाजपा के ही सामने फिर से खड़े रहेंगे.

ओबीसी वोटरों के बीच से आए रामटहल चौधरी की कुरमी समुदाय पर मजबूत पकड़ मानी जाती है. वैसे रांची सीट में कुरमी के अलावा अन्य जातीय वोटरों पर भी दोनों ही दलों की खास नजरें हैं. राजधानी में खासकर ईसाई-मुस्लिम वोटरों की भी सर्वाधिक संख्या है लेकिन यहां हिन्दू समुदायों के वोट भी निर्णायक माने जाते रहे हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में रांची सीट पर समीकरण बदल सकता है और यह देखना दिलचस्प होगा चुनाव में जनता क्या फैसला करती है.

पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो भाजपा उम्मीदवार संजय सेठ ने 7 लाख 6 हजार 828 वोट लाकर रांची लोस सीट पर जीत हासिल की थी. दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के सुबोधकांत सहाय को 4 लाख 23 हजार 802 वोट प्राप्त हुए थे. इस बार भी सुबोधकांत सहाय के उम्मीदवार बनने की चर्चा जोरों पर है लेकिन राम टहल चौधरी की एंट्री से कांग्रेस में इस बात पर अभी संशय है कि टिकट सुबोधकांत सहाय को मिलेगा या राम टहल चौधरी को.

वर्ष 2014 के आकड़ों पर गौर करें तो रांची में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था. इसमें खास तौर पर भाजपा के राम टहल चौधरी को सबसे ज्यादा 448729 वोट, कांग्रेस के सुबोधकांत सहाय को 249426 और आजसू प्रमुख सुदेश महतो को 142560 वोट मिले थे.

हालांकि, यह भी जगजाहिर है कि कैसे 2019 में भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण में राम टहल चौधरी जनता की कसौटी में कमजोर साबित हुए और भाजपा से उनका टिकट कटा था. फिर नाराज चौधरी ने फुटबॉल चिह्न पर निर्दलीय चुनाव लड़े. उस दौरान राम टहल चौधरी को 29 हजार 500 वोट प्राप्त हुए थे.

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