पूर्वी सिहंभूमि

काशीडीह में 16 फीट ऊंचे रावण पुतले का निर्माण पूरा, 103 वर्षों से श्री श्री रामलीला उत्सव समिति निभा रही परंपरा

पूर्वी सिंहभूम, 1 अक्टूबर । बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक दशहरा पर्व को लेकर साकची की श्री श्री रामलीला उत्सव समिति ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। समिति की ओर से हर वर्ष की तरह इस बार भी रावण दहन का आयोजन भव्य रूप से किया जाएगा। खास बात यह है कि श्री श्री रामलीला उत्सव समिति पिछले एक सौ तीन वर्षों से लगातार रावण दहन का आयोजन कर रही है। यह आयोजन न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि समाज में एकता, सद्भाव और सांस्कृतिक परंपरा को भी सशक्त करता है।

इस वर्ष समिति की ओर से साकची के काशीडीह में सोलह फीट ऊंचे रावण पुतले का निर्माण किया गया है। पुतले के निर्माण कार्य में स्थानीय कारीगर सर्वेश्वर गोराई, गणेश मुर्मू और प्रीतम दास अपनी निपुणता और मेहनत से लगातार जुटे रहे। उन्होंने बुधवार तक रावण पुतले का निर्माण लगभग पूरा कर लिया। यह पुतला लोहे के मजबूत ढांचे पर बनाया गया है, जिसमें पहिए लगाए गए हैं, ताकि झांकी के साथ इसे आसानी से विभिन्न मार्गों से घुमाते हुए साकची रामलीला मैदान तक ले जाया जा सके।

कारीगरों ने बताया कि पुतले को पुआल, थर्मोकोल और रंग-बिरंगे कागजों से सजाया गया है। इसके अंदर आकर्षक आतिशबाजियां और पटाखे भरे गए हैं, जो रावण दहन के समय आसमान को रोशन करेंगे। बुधवार को पुतले का अंतिम रूप देने के बाद समिति के सदस्यों ने स्थल पर इसकी सजावट का कार्य भी आरंभ कर दिया है।

श्री श्री रामलीला उत्सव समिति के संचालक मनोज मिश्रा ने बताया कि इस परंपरा की शुरुआत उनके दादा स्वर्गीय रामस्नेही मिश्रा ने लगभग एक सदी पहले की थी। वे स्वयं भी रामलीला मंचन में कलाकार के रूप में भाग लेते थे। आज भी उसी परंपरा को समिति और स्थानीय नागरिक पूरे उत्साह और भक्ति भाव से निभा रहे हैं। मनोज मिश्रा ने कहा कि यह आयोजन समाज में अच्छाई, सत्य और धर्म की शक्ति का प्रतीक है।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी काशीडीह से भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की झांकियों के साथ रावण पुतले को रथ के रूप में सजाकर निकाला जाएगा। झांकी साकची के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरेगी और रामलीला मैदान पहुंचेगी। वहां गुरुवार को विधिवत पूजा-अर्चना, रामलीला मंचन और रावण दहन का आयोजन किया जाएगा। यह परंपरा हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय के इस दृश्य को देखने के लिए एकत्र होते हैं।

मनोज मिश्रा ने कहा कि यह उत्सव केवल धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी देता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंत में सत्य और धर्म की ही विजय होती है। उन्होंने शहरवासियों से आग्रह किया कि वे परिवार सहित इस आयोजन में शामिल होकर बुराई पर अच्छाई की जीत का साक्षी बनें।

रावण दहन के अवसर पर प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। समिति की ओर से स्वयंसेवकों की तैनाती की जा रही है ताकि भीड़ नियंत्रण और आग से सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। कार्यक्रम के दौरान भक्ति गीतों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और आतिशबाजियों से पूरा वातावरण भक्तिमय बन जाएगा।

साकची का यह आयोजन न केवल दशहरा पर्व की धार्मिक गरिमा को बढ़ाता है, बल्कि जमशेदपुर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का भी गौरव बढ़ाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *