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भारतीय हॉकी की शताब्दी: 7 नवंबर को मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में होगा भव्य समारोह


नई दिल्ली, 25 सितंबर – भारतीय खेल जगत एक ऐतिहासिक पल का गवाह बनने जा रहा है। 7 नवंबर 2025 को देश हॉकी की शताब्दी का जश्न मनाएगा। वर्ष 1925 में राष्ट्रीय हॉकी संस्था की स्थापना के साथ शुरू हुई यह यात्रा अब 100 वर्षों का मुकाम तय कर चुकी है। इस विशेष अवसर पर पूरे देशभर में उत्सव की लहर दौड़ पड़ी है और हॉकी इंडिया ने इसे यादगार बनाने के लिए व्यापक तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप कुमार तिर्की, महासचिव श्री भोला नाथ सिंह और महानिदेशक कमांडर आर. के. श्रीवास्तव (वीएसएम, सेवानिवृत्त) ने हाल ही में माननीय खेल मंत्री श्री मनसुख मंडाविया से मुलाकात कर उन्हें इस समारोह के लिए औपचारिक निमंत्रण दिया। यह मुलाकात न केवल आयोजन की भव्यता का संकेत थी, बल्कि इस बात का भी प्रतीक थी कि हॉकी को देश की एकजुटता और खेल भावना का अहम हिस्सा माना जाता है।

देशभर में एक साथ 1,000 से अधिक हॉकी मैच

इस शताब्दी समारोह की सबसे बड़ी खासियत होगी – पूरे भारत में एक साथ 1,000 से अधिक हॉकी मैचों का आयोजन। हॉकी इंडिया की सभी राज्य इकाइयाँ और उनके अधीनस्थ जिला स्तर के संगठन इसमें शामिल होंगे। इन मैचों में स्कूल, कॉलेज, स्थानीय क्लबों से लेकर अनुभवी खिलाड़ियों तक सब भाग लेंगे। यह अनूठा आयोजन न केवल खिलाड़ियों को जोड़ने का प्रयास है, बल्कि देश को यह संदेश देने का भी माध्यम है कि हॉकी हमारी सामूहिक धरोहर है।

मुख्य आयोजन नई दिल्ली में

मुख्य शताब्दी समारोह नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में आयोजित होगा। यह वही ऐतिहासिक मैदान है, जहाँ भारतीय हॉकी ने कई यादगार लम्हों को जिया है। इस मौके पर कई आकर्षक कार्यक्रम होंगे।

  • खेल मंत्री एकादश और हॉकी इंडिया की मिश्रित एकादश (पुरुष एवं महिला खिलाड़ियों की संयुक्त टीम) के बीच 30 मिनट का प्रदर्शनी मैच खेला जाएगा। यह मैच भारतीय खेल जगत में एकता, समानता और प्रतिभा का अनोखा उदाहरण होगा।
  • भारतीय हॉकी के दिग्गजों का सम्मान किया जाएगा, जिन्होंने अपने समर्पण और संघर्ष से देश को अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरव दिलाया।
  • साथ ही, “भारतीय हॉकी के 100 वर्ष” नामक स्मारक पुस्तक का विमोचन किया जाएगा। इसमें भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव, संघर्ष, स्वर्णिम ओलंपिक क्षणों और भविष्य की राह का विस्तृत विवरण होगा।

गौरवशाली इतिहास और प्रेरणादायी भविष्य

भारत की पहचान लंबे समय तक हॉकी से रही है। 1928 से 1980 तक के बीच भारतीय टीम ने आठ ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतकर दुनिया में अपनी छाप छोड़ी। ध्यानचंद जैसे महानायक ने हॉकी को वैश्विक मानचित्र पर चमकाया। हालांकि बाद के वर्षों में चुनौतियाँ सामने आईं, लेकिन भारतीय टीम ने फिर से उभरकर ओलंपिक और विश्व हॉकी में अपनी पहचान कायम की।

हॉकी इंडिया का मानना है कि शताब्दी समारोह केवल अतीत की उपलब्धियों का स्मरण भर नहीं है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करने का आह्वान है। हॉकी इंडिया अध्यक्ष डॉ. तिर्की ने कहा, “यह उत्सव युवाओं के लिए एक संदेश है कि वे हॉकी की छड़ी उठाएँ, बड़े सपने देखें और मेहनत के बल पर भारत को फिर से हॉकी का बादशाह बनाएँ।”

राष्ट्रीय एकता का संदेश

यह समारोह खेल भावना के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक बनेगा। देशभर के गाँव-गाँव और शहर-शहर में गूंजने वाली हॉकी की आवाज़ इस बात की गवाही देगी कि यह खेल केवल मैदान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, इतिहास और पहचान का हिस्सा है।

7 नवंबर को जब मेजर ध्यानचंद स्टेडियम रोशनी और उत्साह से जगमगाएगा, तब भारतीय हॉकी की गौरवशाली यात्रा का एक नया अध्याय लिखा जाएगा – अतीत को सलाम और भविष्य के लिए प्रेरणा के

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